नयन झुकाए मोहिनी, मंद मंद मुस्काय ।
रूप अनोखा देखके, दर्पण भी शर्माय ।।
नयन चलाते छूरियां, नयन चलाते बाण ।
नयनन की भाषा कठिन, नयन क्षीर आषाण ।।
दो नैना हर मर्तबा, छीन गए सुख चैन ।
मन वैरागी कर गए, भटकूँ मैं दिन रैन ।।
आंसू के मोती कभी, मिलते कभी बवाल ।
नैनों की पहचान में, ज्ञानी भी कंगाल ।।
नयना शर्मीले बड़े, नयना नखरे बाज ।
नयनो का खुलता नहीं, सालों सालों राज ।।
नैनो से नैना मिले, बसे नयन में आप ।
नैना करवाएं सदा, मन का मेल मिलाप ।।
जो नैना नीरज भरें, जीतें मन संसार ।
नैना करके छोड़ दें, सज्जन को बेकार ।।
पल पल मैं व्याकुल हुआ, किया नयन ने वार ।
दो नैनो की जीत थी, दो नैनो की हार ।।
रूप अनोखा देखके, दर्पण भी शर्माय ।।
नयन चलाते छूरियां, नयन चलाते बाण ।
नयनन की भाषा कठिन, नयन क्षीर आषाण ।।
दो नैना हर मर्तबा, छीन गए सुख चैन ।
मन वैरागी कर गए, भटकूँ मैं दिन रैन ।।
आंसू के मोती कभी, मिलते कभी बवाल ।
नैनों की पहचान में, ज्ञानी भी कंगाल ।।
नयना शर्मीले बड़े, नयना नखरे बाज ।
नयनो का खुलता नहीं, सालों सालों राज ।।
नैनो से नैना मिले, बसे नयन में आप ।
नैना करवाएं सदा, मन का मेल मिलाप ।।
जो नैना नीरज भरें, जीतें मन संसार ।
नैना करके छोड़ दें, सज्जन को बेकार ।।
पल पल मैं व्याकुल हुआ, किया नयन ने वार ।
दो नैनो की जीत थी, दो नैनो की हार ।।
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 06/04/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
प्रत्युत्तर देंहटाएं
प्रत्युत्तर देंहटाएंसुंदर रचना
बहुत सार्थक और उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
नयनों की माया कोई नही समझ पाया ...
प्रत्युत्तर देंहटाएंवाह ...बहुत खूब
पधारिये आजादी रो दीवानों: सागरमल गोपा (राजस्थानी कविता)
सार्थक दोहे!
प्रत्युत्तर देंहटाएंआँखों में समा गये!
नयनो की भाषा समझ,लगे नैन के तीर
प्रत्युत्तर देंहटाएंभले बली हों सूरमा,जाते होय फ़कीर ,,,,,
बहुत सुंदर दोह,,,अरुन जी,,,
अरुण जी ... लाजवाब दोहे ... आपके दोहों ने तो नयनों की झील में ही डुबो दिया .. सुन्दर लेखन के लिए बधाई !
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है . बधाई.
प्रत्युत्तर देंहटाएंउम्दा..
प्रत्युत्तर देंहटाएंबिना बोले ही नयनों का जादू सारी दुनिया को समा लेता है -बढ़िया दोहे!
प्रत्युत्तर देंहटाएंनैन ही समझे नैनो की भाषा .. जो बात लैब न कह सके वो नैन कह देते हैं ..
प्रत्युत्तर देंहटाएंनैनों पर पूरी रामायण लिख दी आपने .. बहुत बढ़िया बधाई लीजिये !
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (6-4-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
प्रत्युत्तर देंहटाएंसूचनार्थ!
बहुत भावपूर्ण खुबसूरत रचना
प्रत्युत्तर देंहटाएंLATEST POST सुहाने सपने
my post कोल्हू के बैल
नयनो का जादू,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण,आभार.
प्रत्युत्तर देंहटाएंजिन नयनों से नयन मिलें हैं
उन नयनों का हाल न पूछिये
हम तो ठगे रह गए ऐसे
क्या था दिल का हाल न पूछिये
ओह! बहुत सुन्दर… पता नहीं बहकर पढ़े जायें ये दोहे, या बहककर… :)
प्रत्युत्तर देंहटाएंआपने इतनी कसी हुई और सुन्दर शब्द चयन और संयोजन के साथ ये रचना प्रस्तुत की है कि पाठक के पास वाह और आह करने के अलावा कुछ बचता नहीं। बार बार, फिर फिर पढ़ेगा। क्या कहूं? कुछ गुंजाइश है ही नहीं कहने को। मुंह बंद कर दिया पाठक का।
प्रत्युत्तर देंहटाएंढेरों बधाई।
सुंदर नैनों पर उत्कृष्ट रचना...बधाई अन्नत जी...
प्रत्युत्तर देंहटाएंसुंदर नैनों पर उत्कृष्ट रचना...बधाई अन्नत जी...
प्रत्युत्तर देंहटाएंखूबसूरत
प्रत्युत्तर देंहटाएंआंसू के मोती कभी, मिलते कभी बवाल ।
प्रत्युत्तर देंहटाएंनैनों की पहचान में, ज्ञानी भी कंगाल ...
वाह क्या बात है ... सभी दोहे कमाल हैं ... नैनों की भाषा बोलते ..
वह बहुत सुंदर नैनों का दोहत्मक चित्रण
प्रत्युत्तर देंहटाएंगिरा अनयन नयन बिनु बानी
प्रत्युत्तर देंहटाएंइन नैनन का कहां कोई सानी ।
हिंदी लेखनी भी बड़ी कमाल की है आपकी ,जवाब नही लाजवाब।
प्रत्युत्तर देंहटाएंआपकी यह रचना दिनांक 07.06.2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
प्रत्युत्तर देंहटाएंlajajab dohe...
प्रत्युत्तर देंहटाएंnain barasne lage :)