बच्चों को समर्पित दो रचनाएं
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प्रथम रचना : 'मत्तगयन्द' सवैया : 7 भगण व अंत में दो दीर्घ
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नाच नचाय रहा सबको हर ओर चलाय रहा मनमानी,
चूम ललाट रही जननी जब बोल रहा वह तोतल वानी,
धूल भरे तन माटि चखे चुपचाप लखे मुसकान सयानी,
रूप स्वरुप निहार रही सब भूल गयी यह लाल दिवानी...
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द्वतीय रचना : कविता
मुझको नहीं होना बड़ा - वड़ा
पैरों पर अपने खड़ा - वड़ा
मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।
गोदी में सोने की हसरत मेरे जीवन से जायेगी,
माँ अपनी सुन्दर वाणी से लोरी भी नहीं सुनाएगी,
अच्छा है उम्र में कच्चा हूँ ।
मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।।
मैं फूलों संग मुस्काता हूँ, मैं कोयल के संग गाता हूँ,
चिड़िया रानी संग यारी है, मुझको लगती ये प्यारी है,
मैं मित्र सभी का सच्चा हूँ ।
मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।।
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अरुन शर्मा 'अनन्त'
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प्रथम रचना : 'मत्तगयन्द' सवैया : 7 भगण व अंत में दो दीर्घ
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नाच नचाय रहा सबको हर ओर चलाय रहा मनमानी,
चूम ललाट रही जननी जब बोल रहा वह तोतल वानी,
धूल भरे तन माटि चखे चुपचाप लखे मुसकान सयानी,
रूप स्वरुप निहार रही सब भूल गयी यह लाल दिवानी...
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द्वतीय रचना : कविता
मुझको नहीं होना बड़ा - वड़ा
पैरों पर अपने खड़ा - वड़ा
मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।
गोदी में सोने की हसरत मेरे जीवन से जायेगी,
माँ अपनी सुन्दर वाणी से लोरी भी नहीं सुनाएगी,
अच्छा है उम्र में कच्चा हूँ ।
मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।।
मैं फूलों संग मुस्काता हूँ, मैं कोयल के संग गाता हूँ,
चिड़िया रानी संग यारी है, मुझको लगती ये प्यारी है,
मैं मित्र सभी का सच्चा हूँ ।
मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।।
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अरुन शर्मा 'अनन्त'
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अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने .... बहुत ही बढिया।
प्रत्युत्तर देंहटाएंदोनों ही सुन्दर बाल रचनाएँ,बचपन का समय बहुत ही निराला होता है.
प्रत्युत्तर देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति-
प्रत्युत्तर देंहटाएंशुभकामनायें-
bachpan kahan bhul paate hain ..dono hi rachnaaye aapki bahut badhiya lagi arun ..sundar abhiwykti
प्रत्युत्तर देंहटाएंइन बाल रचनाओं का जवाब नहीं ...
प्रत्युत्तर देंहटाएंभई वाह ..
आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
प्रत्युत्तर देंहटाएंकृपया पधारें
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
प्रत्युत्तर देंहटाएंदोनों रचनाएँ बहुत बढ़िया हैं!
साझा करने के लिए आभार!
बहुत प्रभावी मनमोहक बाल रचना !!!
प्रत्युत्तर देंहटाएंrecent post : भूल जाते है लोग,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
प्रत्युत्तर देंहटाएंनवसम्वत्सर-२०७० की हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
प्रत्युत्तर देंहटाएंअनन्त भाई बहुत सुन्दर! मजा आ गया पढ़कर! बधाई!
प्रत्युत्तर देंहटाएंद्वतीय रचना : कविता
प्रत्युत्तर देंहटाएंमुझको नहीं होना बड़ा - वड़ा
पैरों पर अपने खड़ा - वड़ा
मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।
गोदी में सोने की हसरत मेरे जीवन से जायेगी,
माँ अपनी सुन्दर वाणी से लोरी भी नहीं सुनाएगी,
अच्छा है उम्र में कच्चा हूँ ।
मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।।
मैं फूलों संग मुस्काता हूँ, मैं कोयल के संग गाता हूँ,
चिड़िया रानी संग यारी है, मुझको लगती ये प्यारी है,
मैं मित्र सभी का सच्चा हूँ ।
मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।।
वाह अभिनव रंग और खुशबू लिए बच्चों को समर्पित रचना .