वाह .... क्या बात है ... इतने कम शब्दों में भी उम्दा प्रस्तुति
ReplyDelete
suresh agarwal adhirFebruary 7, 2013 at 12:44 PM
bahut khoob...
ReplyDelete
Rajendra KumarFebruary 7, 2013 at 2:23 PM
नहीं प्रेम रस तो,
जहर ही पिलाना.
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,शब्द कम भाव ज्यादा।
ReplyDelete
madhu singhFebruary 7, 2013 at 2:53 PM
बढ़िया गजल*** नहीं प्रेम रस तो,जहर ही पिलाना.
ReplyDelete
Reena MauryaFebruary 7, 2013 at 6:29 PM
बहुत बढ़ियाँ...
कम शब्दों में बेहतरीन भाव...
:-)
ReplyDelete
धीरेन्द्र सिंह भदौरियाFebruary 7, 2013 at 7:23 PM
छोटी बहर में बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,
RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
ReplyDelete
संध्या शर्माFebruary 7, 2013 at 11:02 PM
वाह...इसे कहते है गागर में सागर भरना...शुभकामनायें
ReplyDelete
अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)February 8, 2013 at 7:50 AM
गज़ब की गज़ल है
गज़ब का तराना
है छोटी सी मुट्ठी
भरा है खजाना
मेहनत से अपनी
यूँ रंगत जमाना
अचम्भा करे
देख सारा जमाना.....
ReplyDelete
रविकरFebruary 8, 2013 at 8:48 AM
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDelete
डॉ. मोनिका शर्माFebruary 8, 2013 at 10:17 AM
Bahut Umda...
ReplyDelete
सरिता भाटियाFebruary 8, 2013 at 11:04 AM
bahut khub arun,jari rakhen
गुज़ारिश : ''......यह तो मौसम का जादू है मितवा......''
ReplyDelete
Parveen MalikFebruary 8, 2013 at 2:45 PM
बेहतरीन रचना के लिए बधाई !
ReplyDelete
Shalini RastogiFebruary 8, 2013 at 4:43 PM
इक संक्षिप्त किन्तु गहरी भावाभिव्यक्ति!
ReplyDelete
Virendra Kumar SharmaFebruary 9, 2013 at 11:07 PM
कहो ठोकरों से,
कि चलना सिखाना,
बही हैं निगाहें,
समंदर बचाना,
दोनों शैर बहुत ऊंचे पाए के हैं दोस्त .समुन्दर न डूब जाए कहीं आंसुओं में वल्लाह क्या बात है .देखे तुम्हें चाँद तो भूल जाए शुक्ल पक्ष में कदम रखना .शुक्रिया दोस्त हमें चर्चा मंच में बिठाने का .
ReplyDelete
संजय भास्कर अहर्निशFebruary 10, 2013 at 8:19 AM
आपकी हर रचना की तरह यह रचना भी बेमिसाल है !
ReplyDelete
दिगम्बर नासवाFebruary 10, 2013 at 6:10 PM
छोटी बहर की मस्त गज़ल ... लाजवाब शेर ...
ReplyDelete
Add comment
Load more...
आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर
ReplyDeleteबढ़िया गजल छोटी बहर ,गजब का कहर
दुखे दिल जो यारों न आंसू बहाना
बनाकर मिटाना है किस्सा पुराना
ReplyDeleteबढ़िया गजल छोटी बहर ,गजब का कहर
है हिम्मत तुम्हारी तो आँखें मिलाना ,
मिलाकर झुकाना ,झुका कर उठाना .
वाह .... क्या बात है ... इतने कम शब्दों में भी उम्दा प्रस्तुति
ReplyDeletebahut khoob...
ReplyDeleteनहीं प्रेम रस तो,
ReplyDeleteजहर ही पिलाना.
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,शब्द कम भाव ज्यादा।
बढ़िया गजल*** नहीं प्रेम रस तो,जहर ही पिलाना.
ReplyDeleteबहुत बढ़ियाँ...
ReplyDeleteकम शब्दों में बेहतरीन भाव...
:-)
छोटी बहर में बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
वाह...इसे कहते है गागर में सागर भरना...शुभकामनायें
ReplyDeleteगज़ब की गज़ल है
ReplyDeleteगज़ब का तराना
है छोटी सी मुट्ठी
भरा है खजाना
मेहनत से अपनी
यूँ रंगत जमाना
अचम्भा करे
देख सारा जमाना.....
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteBahut Umda...
ReplyDeletebahut khub arun,jari rakhen
ReplyDeleteगुज़ारिश : ''......यह तो मौसम का जादू है मितवा......''
बेहतरीन रचना के लिए बधाई !
ReplyDeleteइक संक्षिप्त किन्तु गहरी भावाभिव्यक्ति!
ReplyDeleteकहो ठोकरों से,
ReplyDeleteकि चलना सिखाना,
बही हैं निगाहें,
समंदर बचाना,
दोनों शैर बहुत ऊंचे पाए के हैं दोस्त .समुन्दर न डूब जाए कहीं आंसुओं में वल्लाह क्या बात है .देखे तुम्हें चाँद तो भूल जाए शुक्ल पक्ष में कदम रखना .शुक्रिया दोस्त हमें चर्चा मंच में बिठाने का .
आपकी हर रचना की तरह यह रचना भी बेमिसाल है !
ReplyDeleteछोटी बहर की मस्त गज़ल ... लाजवाब शेर ...
ReplyDelete