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Monday, February 4, 2013

दुष्कर्म पापियों का भगवान हो रहा है

.................ग़ज़ल.................

(बह्र: बहरे मुजारे मुसमन अखरब)
(वज्न: २२१, २१२२, २२१, २१२२)


दुष्कर्म पापियों का भगवान हो रहा है,
जिन्दा हमारे भीतर शैतान हो रहा है,

जुल्मो सितम तबाही फैली कदम-२ पे,
अपराध आज इतना आसान हो रहा है,

इन्साफ की डगर में उभरे तमाम कांटे,
मासूम मुश्किलों में कुर्बान हो रहा है,

कुदरत दिखा करिश्मा संसार को बचा ले,
जलके तेरा जमाना शमशान हो रहा है,

खामोश देख रब को रोया उदास भी हूँ,
पिघला नहीं खुदा दिल हैरान हो रहा है...

25 comments:

  1. सदाFebruary 4, 2013 at 12:40 PM

    वाह ... बहुत ही जरदस्‍त लिखा है आपने ... बधाई इस बेहतरीन प्रस्‍तुति की

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"February 4, 2013 at 1:59 PM

      आभार सदा दी

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  • yashoda agrawalFebruary 4, 2013 at 12:56 PM

    आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 06/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"February 4, 2013 at 2:00 PM

      आभार यशोदा दी

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  • Rajendra KumarFebruary 4, 2013 at 1:03 PM

    एक न एक दिन कुदरत का कहर तो आएगा ,मिटाकर पापियों को फिर से रामराज्य बनाएगा। बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"February 4, 2013 at 2:00 PM

      शुक्रिया राजेंद्र भाई

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  • धीरेन्द्र सिंह भदौरियाFebruary 4, 2013 at 1:26 PM

    बहुत ही उम्दा भावपूर्ण गजल,,,,अरुन जी

    RECENT POST बदनसीबी,

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"February 4, 2013 at 2:00 PM

      धन्यवाद धीरेन्द्र सर

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  • रविकरFebruary 4, 2013 at 1:53 PM

    बढ़िया प्रस्तुति |
    बधाई स्वीकारें ||

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"February 4, 2013 at 2:02 PM

      तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय गुरुदेव श्री रविकर सर

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  • Virendra Kumar SharmaFebruary 4, 2013 at 2:03 PM

    विचार और भाव का सशक्त सम्प्रेषण .हमारे वक्त की एक प्रासंगिक रचना .

    बे -ईमान हँस रहा है ,ईमान रो रहा है ,

    फुटपाथ पे है मेहनत ,इंसान सो रहा है .

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  • Virendra Kumar SharmaFebruary 4, 2013 at 2:04 PM

    विचार और भाव का सशक्त सम्प्रेषण .हमारे वक्त की एक प्रासंगिक रचना .

    बे -ईमान हँस रहा है ,ईमान रो रहा है ,

    फुटपाथ पे है मेहनत ,इंसान सो रहा है .

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  • madhu singhFebruary 4, 2013 at 3:30 PM

    bahut khoob,behatareen aur samsamyeek gazal,tej dhar

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  • Rajesh KumariFebruary 4, 2013 at 6:13 PM

    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/2/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है

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  • डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)February 4, 2013 at 6:40 PM

    बेहतरीन ग़ज़ल प्रस्तुति!

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  • संध्या शर्माFebruary 4, 2013 at 10:03 PM

    कुदरत दिखा करिश्मा संसार को बचा ले,
    जलके तेरा जमाना शमशान हो रहा है,
    बिलकुल सही कहा है. वक़्त आ गया है अब कुदरत के करिश्मे का. लाजवाब अभिव्यक्ति. शुभकामनायें..

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  • udaya veer singhFebruary 5, 2013 at 8:08 AM

    बेहतरीन अभिव्यक्ति .......

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  • अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)February 5, 2013 at 9:34 AM

    दर पे हमारे आया,हमने किया भरोसा
    अदना एक प्यादा, सुल्तान हो रहा है ....

    विचारणेय गज़ल....

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  • Johny SamajhdarFebruary 5, 2013 at 10:56 AM

    सुन्दर रचना | बधाई |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  • संगीता स्वरुप ( गीत )February 6, 2013 at 1:08 PM

    सटीक बात कहती सुंदर गज़ल

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  • रश्मि शर्माFebruary 6, 2013 at 1:22 PM

    बढ़ि‍या रचना..बधाई

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  • दिगम्बर नासवाFebruary 6, 2013 at 4:11 PM

    कुदरत दिखा करिश्मा संसार को बचा ले,
    जलके तेरा जमाना शमशान हो रहा है,..

    लाजवाब शेर ... पर ये काम तो बस अब खुदा ही कर सकता है ...

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  • Shalini RastogiFebruary 8, 2013 at 4:49 PM

    खामोश देख रब को रोया उदास भी हूँ,
    पिघला नहीं खुदा दिल हैरान हो रहा है....वाह....बेमिसाल शेर!

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  • Shalini RastogiFebruary 8, 2013 at 4:51 PM

    खामोश देख रब को रोया उदास भी हूँ,
    पिघला नहीं खुदा दिल हैरान हो रहा है...वाह ...लाजवाव शेर ..बहुत खूब!

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  • संजय भास्‍कर अहर्निशFebruary 10, 2013 at 8:50 AM

    लाजवाब शेर अरुन भाई,
    कैसे लिख जाते हो यार ऐसा सब......!!!!

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