दिल का जिसकोदारोमदारबख्शा,
दिल को उसने मेरेमज़ारबख्शा,
दिल से ऐसे है दुश्मनी निभाई,
जख्मी गम का मुझको करारबख्शा,
अपनी जिसको की जिंदगी हवाले,
काँटों को मेरा सब उधारबख्शा,
साँसों का जिसको था खुदा बनाया,
धोखा उसने मुझको हज़ारबख्शा....
12 टिप्पणियां:
सदा17 अक्टूबर 2012 को 11:22 am
वाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
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"अनंत" अरुन शर्मा17 अक्टूबर 2012 को 11:40 am
शुक्रिया सदा जी
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ई. प्रदीप कुमार साहनी17 अक्टूबर 2012 को 1:45 pm
बहुत खूब लिखा है आपने | आभार |
नई पोस्ट:- हे माँ दुर्गा
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"अनंत" अरुन शर्मा17 अक्टूबर 2012 को 5:07 pm
शुक्रिया प्रदीप भाई नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं
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रविकर17 अक्टूबर 2012 को 5:01 pm
बहुत अच्छे अरुण |
नए नए विषय-
बधाई ||
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"अनंत" अरुन शर्मा17 अक्टूबर 2012 को 5:06 pm
शुक्रिया रविकर सर ये सब आप सभी के आशीर्वाद का फल है, नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं
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shalini17 अक्टूबर 2012 को 6:00 pm
साँसों का जिसको था खुदा बनाया,
धोखा उसने मुझको हज़ार बक्शा.... bahut badhiya sher..kya baat hai... bahut khoob!
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"अनंत" अरुन शर्मा18 अक्टूबर 2012 को 11:20 am
बहुत-२ शुक्रिया शालिनी जी
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Virendra Kumar Sharma18 अक्टूबर 2012 को 7:32 am
धोखा मुझको हज़ार बक्शा(बख्शा )...बख्शीश
दिल का जिसको दामोमदार बक्शा,........दारोमदार ...........
दिल को उसने मेरे मजार बक्शा,........मज़ार बख्शा ..............
दिल से ऐसे है दुश्मनी निभाई,
जख्मी गम का मुझको करार बक्शा,
अपनी जिसको की जिंदगी हवाले,
काँटों को मेरा सब उधार बक्शा,
साँसों का जिसको था खुदा बनाया,
धोखा उसने मुझको हज़ार बक्शा....
Posted by "अनंत" अरुन शर्मा at Tuesday, October 16, 2012बहुत बढ़िया गजल है दोस्त ये चूक वर्तनी की किसी से भी हो जाती है .हमें भाषा आती है व्याकरण नहीं .
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"अनंत" अरुन शर्मा18 अक्टूबर 2012 को 11:16 am
आदरणीय वीरेंद्र सर आपको नमन आपसे इसी तरह के स्नेह की जरुरत है, अगर आप जैसे महान कलाकार हमे संभालेंगे तो एक दिन जरुर संभल जायेंगे. आपके द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन कर लिया है सर.
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रंजना [रंजू भाटिया]18 अक्टूबर 2012 को 4:24 pm
waah bahut hi sundar har baat sahi matlab kah rahi hai shukriya
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"अनंत" अरुन शर्मा18 अक्टूबर 2012 को 4:59 pm
शुक्रिया रंजू जी बहुत-२ शुक्रिया
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आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर
वाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
प्रत्युत्तर देंहटाएंशुक्रिया सदा जी
हटाएंबहुत खूब लिखा है आपने | आभार |
प्रत्युत्तर देंहटाएंनई पोस्ट:- हे माँ दुर्गा
शुक्रिया प्रदीप भाई नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं
हटाएंबहुत अच्छे अरुण |
प्रत्युत्तर देंहटाएंनए नए विषय-
बधाई ||
शुक्रिया रविकर सर ये सब आप सभी के आशीर्वाद का फल है, नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं
हटाएंसाँसों का जिसको था खुदा बनाया,
प्रत्युत्तर देंहटाएंधोखा उसने मुझको हज़ार बक्शा.... bahut badhiya sher..kya baat hai... bahut khoob!
बहुत-२ शुक्रिया शालिनी जी
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