Dheerendra singh Bhadauriya12 अक्टूबर 2012 को 1:20 pm
बहुत खूब सूरत बेहतरीन रचना,,,,
अरुणजी,,,वाह क्या बात है,,,,,
MY RECENT POST: माँ,,,
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"अनंत" अरुन शर्मा12 अक्टूबर 2012 को 1:41 pm
आदरणीय धीरेन्द्र सर तहे दिल से शुक्रिया
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Minakshi Pant12 अक्टूबर 2012 को 4:27 pm
वाह बहुत ही खूबसूरत रचना सुन्दर शब्द संयोजन |
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"अनंत" अरुन शर्मा12 अक्टूबर 2012 को 4:31 pm
बहुत-२ शुक्रिया मिनाक्षी जी
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)12 अक्टूबर 2012 को 6:29 pm
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (13-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
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"अनंत" अरुन शर्मा13 अक्टूबर 2012 को 10:37 am
आदरणीय शास्त्री आपको प्रणाम मेरी रचना तो स्थान मिला चर्चा मंच पर सर आपका तहे दिल से शुक्रिया
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Anita12 अक्टूबर 2012 को 6:34 pm
दिल तो ऐसा ही है..सुंदर प्रस्तुति !
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"अनंत" अरुन शर्मा13 अक्टूबर 2012 को 10:37 am
शुक्रिया अनीता जी
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संगीता स्वरुप ( गीत )13 अक्टूबर 2012 को 10:04 am
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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"अनंत" अरुन शर्मा13 अक्टूबर 2012 को 10:38 am
तहे दिल से शुक्रिया आदरणीया संगीता जी
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shalini13 अक्टूबर 2012 को 1:13 pm
बहुत खूब अरुण जी..... दिल के अनेक रंग दिखा दिए आपने...
बेवज़ह इल्ज़ाम पे इल्ज़ाम लगाये जाते हैं आप
कभी सनकी तो कभी पागल, इसे बताए जाते हैं आप
चेहरे पे मरता है तेरे, माजबूरी में धड़कता है
लाचार दिल को, गुनहगार बताए जाते हैं आप
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"अनंत" अरुन शर्मा13 अक्टूबर 2012 को 1:38 pm
वाह क्या बात है शालिनी जी शुक्रिया
क्या करूँ दिल ही मजबूर करता है,
चाह के चाहत से दूर करता है,
लाख कोशिश की औ समझाया भी,
मगर मुझको गुस्से में चूर करता है.
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Kavita Rawat13 अक्टूबर 2012 को 5:15 pm
किस्मत टूटी जैसे,
टूटे हर बरतन की,
यादों में है अब भी,
माँ मेरे बचपन की,
..बहुत सुंदर प्रस्तुति !
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"अनंत" अरुन शर्मा13 अक्टूबर 2012 को 5:21 pm
तहे दिल से शुक्रिया कविता जी
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अनामिका की सदायें ......13 अक्टूबर 2012 को 9:21 pm
lajwaaab
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"अनंत" अरुन शर्मा14 अक्टूबर 2012 को 10:46 am
बहुत-२ शुक्रिया अनामिका जी
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***Punam***14 अक्टूबर 2012 को 11:50 pm
ये पागल दिल....
लेकिन है खूबसूरत...!
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"अनंत" अरुन शर्मा15 अक्टूबर 2012 को 10:38 am
तहे दिल से शुक्रिया पूनम जी
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संजय भास्कर1 नवंबर 2012 को 7:53 am
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
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"अनंत" अरुन शर्मा1 नवंबर 2012 को 10:37 am
संजय भाई ये सब आपका स्नेह है.
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आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर
बहुत खूब सूरत बेहतरीन रचना,,,,
प्रत्युत्तर देंहटाएंअरुणजी,,,वाह क्या बात है,,,,,
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आदरणीय धीरेन्द्र सर तहे दिल से शुक्रिया
हटाएंवाह बहुत ही खूबसूरत रचना सुन्दर शब्द संयोजन |
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत-२ शुक्रिया मिनाक्षी जी
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प्रत्युत्तर देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (13-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आदरणीय शास्त्री आपको प्रणाम मेरी रचना तो स्थान मिला चर्चा मंच पर सर आपका तहे दिल से शुक्रिया
हटाएंदिल तो ऐसा ही है..सुंदर प्रस्तुति !
प्रत्युत्तर देंहटाएंशुक्रिया अनीता जी
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