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सोमवार, 18 जून 2012

मेरे पापा

परमात्मा का रूप रखते हैं, मेरे पापा,
मेरी हर भावना समझते हैं, मेरे पापा,
बुराई को दूर रखना, मन में सफाई रखना,
शिक्षा है सबसे ऊँची कहते हैं, मेरे पापा,
करो नारी का सम्मान, रखों बड़ों का ध्यान,
हर काम को सिखाया करते हैं, मेरे पापा,
जियो इज्ज़त की जिंदगी, करो रब की बंदगी,
खुदा से, मेरे नज़रों में रहते हैं, मेरे पापा.....

3 टिप्‍पणियां:

  1. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)18 जून 2012 को 4:26 pm

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (19-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  2. अरुन शर्मा18 जून 2012 को 5:20 pm

    बहुत बहुत धन्यवाद SIR

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  3. दिगम्बर नासवा19 जून 2012 को 3:13 pm

    पापा ऐसे ही होते हैं ... कदम कदम पे ख्याल रखते हैं ...

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
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