इलाज़ इश्क का कहाँ खुदा के पास है,
ये रखा हुस्न की, हर अदा के पास है,
दरवाजा इश्क का खुलता है देर से,
पर जब भी खुलता है सजा के पास है,
कोई लुटता है, तो कोई लूटता लेता है,
बाद बचता है जो, वो मज़ा के पास है....
ये रखा हुस्न की, हर अदा के पास है,
दरवाजा इश्क का खुलता है देर से,
पर जब भी खुलता है सजा के पास है,
कोई लुटता है, तो कोई लूटता लेता है,
बाद बचता है जो, वो मज़ा के पास है....
बहुत शानदार लिखा है आपने!
ReplyDeleteपितृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत-२ धन्यवाद SIR (आशीर्वाद यूँही बनाये रखिये)
ReplyDeleteबहुत खूब
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