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बुधवार, 6 जून 2012

बोलना छोड़ दो

गहराई प्यार की दिल से तोलना छोड़ दो,
जुबां निगाह जब बने तो बोलना छोड़ दो, 
लेकर रेत हवाएं घूमती हैं, गलियों में,
खिड़कियाँ घरों की बेधड़क खोलना छोड़ दो,
लाख मांगो मुरादें दिल की पूरी नहीं होती,
दवा - दुआ को एक साथ घोलना छोड़ दो,
जिंदगी और भी उलझ जायेगी मुश्किलों से,
भर कर चिंता जहन में डोलना छोड़ दो.......

6 टिप्‍पणियां:

  1. Anupama Tripathi6 जून 2012 को 5:32 pm

    waah ,,,bahut sundar abhivyakti ...
    shubhkamnayen..

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  2. अरुन शर्मा6 जून 2012 को 6:23 pm

    शुक्रिया अनुपमा जी

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  3. ऋता शेखर मधु7 जून 2012 को 7:10 am

    वाह !!!बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति...

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  4. अरुन शर्मा7 जून 2012 को 10:52 am

    बहुत बहुत शुक्रिया

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  5. संगीता स्वरुप ( गीत )7 जून 2012 को 12:40 pm

    बहुत खूब

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  6. S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')7 जून 2012 को 4:29 pm

    बहुत खूब

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
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