शिकायतें उसने की मैंने गिला न किया,
दर- दे- दिल का तुझे इतेल्ला न किया,
छोड़ कर कुछ ऐसे गया वो मुझे,
भूल से भी कभी फिर मिला न किया,
हम तो गम के सफ़र में चलते रहे,
दिल में चाहत का पल खिला न किया,
जख्म होते रहे कुछ नए और भी
लाख कोशिश से भी सिला न किया.
No comments:
Post a Comment
आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर