इश्क वो बीमारी है जो सिर्फ गम देगी,
रुख बदलते ही खुशिया कर ख़तम देगी.
पुराना घाव कभी सूख पायेगा भी नहीं ,
कि फिर से नया एक और जखम देगी.
बचैनी से भर जाएगी जिंदगी अपनी ,
चैन से जीने बहुत कम देगी.
समझ आएँगी नहीं मुश्किले ये कभी,
इतने सिद्दत से भरम देगी.
खुश्क अश्कों से पलकें भीगी - भीगी,
खुश्क अश्कों से पलकें भीगी - भीगी,
जीने ये नहीं इस जनम देगी.
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