दर्द-ओ-गम की बारात लिए बैठा है, प्यार जख्मो की सौगात लिए बैठा है,
उम्र भर के लिए यादों की तड़प और ठन्डे-ठन्डे से जज़्बात लिए बैठा है,
भरा तन्हाई से पूरा-पूरा दिन, नींद पर कब्ज़ा करके हर रात लिए बैठा है,
आँखों में बरसात का मौसम , ख्याल से छीन के ख़यालात लिए बैठ है,
कुछ छोड़ा नहीं पास कहने के लिए, हर लफ्ज़ हर एक बात लिए बैठा है,
मौका मिलता नहीं एक नज़र दीदार को, कुछ ऐसे मुलकात लिए बैठा है,
जिल्लतें रखीं है संभाल के दामन में , बदनामी के हालात लिए बैठा है,
जवाब मिलता नहीं ढूंढने से भी कभी, ऐसे - ऐसे सवालात लिए बैठा है.
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