ग़ज़ल
वज्न : 122 , 122 , 122 , 12
तुझे हम नयन में बसा ले चले,
मुहब्बत का सारा मज़ा ले चले,
चली छूरियां हैं जिगर पे निहाँ,
छिपाए जखम दिल ठगा ले चले,
तबीयत जो मचली तेरी याद में,
उमर भर अलग सा नशा ले चले,
कटे रात दिन हैं तेरे जिक्र में,
अजब सी ये आदत लगा ले चले,
नतीजा न निकला मेरे प्यार का,
ये कैसा नसीबा लिखा ले चले.....
वज्न : 122 , 122 , 122 , 12
तुझे हम नयन में बसा ले चले,
मुहब्बत का सारा मज़ा ले चले,
चली छूरियां हैं जिगर पे निहाँ,
छिपाए जखम दिल ठगा ले चले,
तबीयत जो मचली तेरी याद में,
उमर भर अलग सा नशा ले चले,
कटे रात दिन हैं तेरे जिक्र में,
अजब सी ये आदत लगा ले चले,
नतीजा न निकला मेरे प्यार का,
ये कैसा नसीबा लिखा ले चले.....
निहाँ - गुप्त चोरी-छुपे
हमेशा वजन में खरी हो गजल -
प्रत्युत्तर देंहटाएंभरे भाव से हैं सभी शेर भी |
अरुण क्या कहें वाह रविकर करे-
कहें दोस्त अपने कहें गैर भी ||
आदरणीय गुरुदेव श्री सादर आभार.
हटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
प्रत्युत्तर देंहटाएंकटे रात दिन हैं तेरे जिक्र में,
प्रत्युत्तर देंहटाएंअजब सी ये आदत लगा ले चले,
कटे रात दिन हैं तेरे जिक्र में,
अजब सी ये आदत लगा ले चले,
मनका -ए -माला उड़ा ले चले .
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल... शुभकामनायें
प्रत्युत्तर देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति ****कटे रात दिन हैं तेरे जिक्र में,
प्रत्युत्तर देंहटाएंअजब सी ये आदत लगा ले चले,
किसी को नयनो में बसा कर भी मुहब्बत में नाकाम होने का दर्द को सार्थक करती सुन्दर गज़ल।
प्रत्युत्तर देंहटाएंwahhh....Hamesha ki tarah Umda..
प्रत्युत्तर देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post_26.html
बहुत सुंदर गजल ,,,लाजबाब प्रस्तुति,,,,
प्रत्युत्तर देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
recent post: गुलामी का असर,,,
तबीयत जो मचली तेरी याद में,
प्रत्युत्तर देंहटाएंउमर भर अलग सा नशा ले चले,
क्या बात कही है अरुण...बहुत खूब!
आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [01.07.2013]
प्रत्युत्तर देंहटाएंचर्चामंच 1293 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
सरिता भाटिया
बहुत सुंदर ग़ज़ल की अभिव्यक्ति .......!!
प्रत्युत्तर देंहटाएंतबीयत जो मचली तेरी याद में,
प्रत्युत्तर देंहटाएंउमर भर अलग सा नशा ले चले,
......बहुत ही शानदार रचना..
बहुत सुंदर, बहुत सुंदर
प्रत्युत्तर देंहटाएंदो लाइन मेरी ओर से..
पहले दिल दिया था, अब जान देता हूं।
वो अगाज़े मुहब्बत था,ये अंजामें मुहब्बत है।