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Wednesday, March 14, 2012

मिली दर्द की कमाई

मिली दर्द की कमाई, पाया जख्मो का मेहनताना
मैंने गम से है पिरोया,  मेरे घर हर खजाना
खुशियों की बंद करदी खिड़की भी आज मैंने
भरना न पड़े मुझको कही और भी हरजाना
यूँ तो एक पल भी मुझको कही चैन नहीं मिलता
अब अच्छा नहीं लगे तेरी यादों का पास आना
दुखती बहुत थी मुझको ये भी अदा तेरी
यूँ बार बार तेरा हर वादों से मुकरजना
इंसाफ की मिसाल कुछ ऐसी भी है
मेरे ही कल्त पर मुझे लगा है जुरमाना

6 comments:

  1. दिलबाग विर्कMarch 14, 2012 at 8:21 PM

    आपकी पोस्ट कल 15/3/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    http://charchamanch.blogspot.com
    चर्चा मंच-819:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  2. Amit ChandraMarch 14, 2012 at 8:51 PM

    बहुत खूब. सुंदर रचना.

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  3. Sunil KumarMarch 14, 2012 at 8:57 PM

    सुंदर अतिसुन्दर अच्छी लगी, बधाई
    (कृपया वर्ड वरिफिकेसन हटा दीजिये )

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  4. Kailash SharmaMarch 14, 2012 at 10:07 PM

    बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...

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  5. Arun SharmaMarch 15, 2012 at 10:47 AM

    आप सबको प्रेम पूर्वक प्रणाम और धन्यवाद

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  6. Handa1956March 18, 2012 at 3:34 AM

    Very nice like it!!

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