मिली दर्द की कमाई, पाया जख्मो का मेहनताना
मैंने गम से है पिरोया, मेरे घर हर खजाना
खुशियों की बंद करदी खिड़की भी आज मैंने
भरना न पड़े मुझको कही और भी हरजाना
यूँ तो एक पल भी मुझको कही चैन नहीं मिलता
अब अच्छा नहीं लगे तेरी यादों का पास आना
दुखती बहुत थी मुझको ये भी अदा तेरी
यूँ बार बार तेरा हर वादों से मुकरजना
इंसाफ की मिसाल कुछ ऐसी भी है
मेरे ही कल्त पर मुझे लगा है जुरमाना
मैंने गम से है पिरोया, मेरे घर हर खजाना
खुशियों की बंद करदी खिड़की भी आज मैंने
भरना न पड़े मुझको कही और भी हरजाना
यूँ तो एक पल भी मुझको कही चैन नहीं मिलता
अब अच्छा नहीं लगे तेरी यादों का पास आना
दुखती बहुत थी मुझको ये भी अदा तेरी
यूँ बार बार तेरा हर वादों से मुकरजना
इंसाफ की मिसाल कुछ ऐसी भी है
मेरे ही कल्त पर मुझे लगा है जुरमाना
आपकी पोस्ट कल 15/3/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा मंच-819:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
बहुत खूब. सुंदर रचना.
ReplyDeleteसुंदर अतिसुन्दर अच्छी लगी, बधाई
ReplyDelete(कृपया वर्ड वरिफिकेसन हटा दीजिये )
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
ReplyDeleteआप सबको प्रेम पूर्वक प्रणाम और धन्यवाद
ReplyDeleteVery nice like it!!
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