कुछ गुनाह हुए और, कुछ हुए गुनाहों को छुपाने के लिए.
मुझे मिलता रहा जख्म सिर्फ तुझको पाने के लिए.
वो हर वादे को तोड़ कर यूँ ही चल दिए.
मै सहता रहा दर्द इक वादे को निभाने के लिए.
No comments:
Post a Comment
आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर