मेरे आँखों को मिली नमी किसी और की,
बुराई किसी और की कमी किसी और की,
रहने को अब इस जहाँ में ठिकाना नहीं रहा
मेरे दिल की हो गयी जमी किसी और की,
मेरी दुनिया से निकल कर खुशियाँ सारी
जाके दुनिया में फिर थमी किसी और की.
बुराई किसी और की कमी किसी और की,
रहने को अब इस जहाँ में ठिकाना नहीं रहा
मेरे दिल की हो गयी जमी किसी और की,
मेरी दुनिया से निकल कर खुशियाँ सारी
जाके दुनिया में फिर थमी किसी और की.
No comments:
Post a Comment
आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर