बेहद खुबसूरत अपना ये चर्चामंच है,
प्रेम के गुच्छों से गुंथा-सजा ये बंच है,
हृयद की भावनाओ से शुशोभित होकर,
फैला रहा मधुर कविताओं का पंच है,
नास्ता होता है अनूठे शब्दों का यहाँ,
यहीं सुन्दर भावों का होता लंच है,
सच्चे साथी हैं, एक साथ, एक जगह,
यहाँ कभी होता नहीं कोई परपंच है......
प्रेम के गुच्छों से गुंथा-सजा ये बंच है,
हृयद की भावनाओ से शुशोभित होकर,
फैला रहा मधुर कविताओं का पंच है,
नास्ता होता है अनूठे शब्दों का यहाँ,
यहीं सुन्दर भावों का होता लंच है,
सच्चे साथी हैं, एक साथ, एक जगह,
यहाँ कभी होता नहीं कोई परपंच है......
आसानी से कह रहे, अरुण तरुण एहसास ।
प्रत्युत्तर देंहटाएंब्लॉग-जगत का कर रहा, चर्चा-मंच विकास ।
चर्चा-मंच विकास , आस है भारी इससे ।
छपते गीत सुलेख, विवेचन गजलें किस्से ।
बहुत बहुत आभार, प्यार से इसे नवाजा ।
कमी दिखे तत्काल, ध्यान में मित्र दिला जा ।।
वाह क्या बात है, रविकर SIR बहुत-२ शुक्रिया.
प्रत्युत्तर देंहटाएंdineshkidillagi.blogspot.com
हटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
प्रत्युत्तर देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा शुक्रवारीय के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत बढ़िया अरुण शर्मा जी .यहाँ कोई होता नहीं प्रपंच है ,प्रेम को हर कोई स्वतंत्र है ,न कोई खाप न सरपंच है ,.....
प्रत्युत्तर देंहटाएंवीरुभाई .
शुक्रवार, 29 जून 2012
ज्यादा देर आन लाइन रहना माने टेक्नो ब्रेन बर्न आउट
http://veerubhai1947.blogspot.com/
वीरुभाई ४३.३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,४८,१८८ ,यू एस ए .