खोने आँखों के होने जब से सपने लगे,
दर्द तेरी निहायतों से मेरे अपने लगे,हिदायत भी दी, समझाया भी मगर,
जाने कैसे हम तेरा नाम जपने लगे,
बहुत ज्यादा न नजदीकियां रास आयीं,
जल्द ही यादों की आग में तपने लगे,
चुभन सीने में रोज़ तेज़ होने लगी,
दिल के पन्नों पे जब जख्म छपने लगे.....
wah wah wah
प्रत्युत्तर देंहटाएंbahut sundar
प्रत्युत्तर देंहटाएंखूबसूरती से लिखे एहसास
प्रत्युत्तर देंहटाएंअलोक जी, उपासना जी और संगीता जी आप सभी को बहुत बहुत शुक्रिया. धन्यवाद.
प्रत्युत्तर देंहटाएंआपकी पोस्ट 17/5/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
प्रत्युत्तर देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा - 882:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
एहसास की रचना
प्रत्युत्तर देंहटाएंvery nice....
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