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बुधवार, 16 मई 2012

सपने

खोने आँखों के होने जब से सपने लगे,
दर्द तेरी निहायतों से मेरे अपने लगे,
हिदायत भी दी, समझाया भी मगर,
जाने कैसे हम तेरा नाम जपने लगे,
बहुत ज्यादा न नजदीकियां रास आयीं,
जल्द ही यादों की आग में तपने लगे,
चुभन सीने में रोज़ तेज़ होने लगी,
दिल के पन्नों पे जब जख्म छपने लगे.....

7 टिप्‍पणियां:

  1. Alok Mohan16 मई 2012 को 10:58 pm

    wah wah wah

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  2. उपासना सियाग17 मई 2012 को 7:25 am

    bahut sundar

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  3. संगीता स्वरुप ( गीत )17 मई 2012 को 10:45 am

    खूबसूरती से लिखे एहसास

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  4. Arun Sharma17 मई 2012 को 2:31 pm

    अलोक जी, उपासना जी और संगीता जी आप सभी को बहुत बहुत शुक्रिया. धन्यवाद.

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  5. दिलबाग विर्क17 मई 2012 को 8:34 pm

    आपकी पोस्ट 17/5/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें

    चर्चा - 882:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  6. M VERMA17 मई 2012 को 9:29 pm

    एहसास की रचना

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  7. Dr.NISHA MAHARANA17 मई 2012 को 11:19 pm

    very nice....

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