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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Saturday, March 17, 2012

धड़कन बिगड़ गयी

दिल को बहलाया तो धड़कन बिगड़ गयी,
मेरी हंसती खेलती दुनिया उजड़ गयी,
गुस्ताख दिल ने एक गुस्ताखी ऐसी की
कि जिंदगी मेरी, मुझसे जगड़ गयी,
पाया नहीं कुछ, खोया जो भी था मेरा
उलझने मुफ्त कि मुझमे रगड़ गयी,
रुके कभी आँशू तो कभी ये छलकें
जख्मों की लड़ियाँ मेरे घर में जड़ गयी,
तू दूर गयी जबसे मेरा दिल तोड़कर
मुस्किल बड़ी सांस मुझे लेने में पड़ गयी.

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