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Sunday, March 11, 2012

दर्द पुराना

जगा दर्द वही पुराना आज फिर से,
पड़ा अश्को से नहाना आज फिर से,
वही उलझन वही बेचैनी का मौसम,
यूँ तेरी यादों का आना आज फिर से,
करके शिकार मेरा जो मुझे जख्म दिए,
लगा उन जख्मो पे निशाना आज फिर से,
वैसे तो गुजर गए है कई बरस लेकिन,
मेरे साथ है वही जमाना आज फिर से.

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