ग़ज़ल
(बह्र: हज़ज़ मुसम्मन सालिम )
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन
..........................................................
अयोध्या में न था संभव जहाँ कुछ राम से पहले,
वहीँ गोकुल में कुछ होता न था घनश्याम से पहले,
बड़े ही प्रेम से श्री राम जी लक्ष्मण से कहते हैं,
अनुज बाधाएँ आती हैं भले हर काम से पहले,
समर्पित गोपियों ने कर दिया जीवन मुरारी को,
नहीं कुछ श्याम से बढ़कर नहीं कुछ श्याम से पहले,
हमारा प्रेम होता जो कन्हैया और राधा सा,
समझ लेते ह्रदय की भावना पैगाम से पहले,
भले लक्ष्मी नारायण कहता है संसार हे राधा,
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले....
(बह्र: हज़ज़ मुसम्मन सालिम )
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन
..............................
अयोध्या में न था संभव जहाँ कुछ राम से पहले,
वहीँ गोकुल में कुछ होता न था घनश्याम से पहले,
बड़े ही प्रेम से श्री राम जी लक्ष्मण से कहते हैं,
अनुज बाधाएँ आती हैं भले हर काम से पहले,
समर्पित गोपियों ने कर दिया जीवन मुरारी को,
नहीं कुछ श्याम से बढ़कर नहीं कुछ श्याम से पहले,
हमारा प्रेम होता जो कन्हैया और राधा सा,
समझ लेते ह्रदय की भावना पैगाम से पहले,
भले लक्ष्मी नारायण कहता है संसार हे राधा,
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले....
समर्पित गोपियों ने कर दिया जीवन मुरारी को,
प्रत्युत्तर देंहटाएंनहीं कुछ श्याम से बढ़कर नहीं कुछ श्याम से पहले,..
बहुत ही सुन्दर शेर .... सभी शेर राम ओर कृष्ण की पृष्ठभूमि पे लिखे नए अंदाज़ के शेर हैं ... लाजवाब ...
अरुण जी बहुत बढ़िया गजल ... सुन्दर भाव सहित , हार्दिक बधाई !!!
प्रत्युत्तर देंहटाएंसुन्दर भाव सहित बहुत बढ़िया गजल,लाजवाब.
प्रत्युत्तर देंहटाएंसुन्दर गजल-
प्रत्युत्तर देंहटाएंशुभकामनायें-
बाधा हरते श्याम कब, हैं अपने में लीन |
कितनी सारी रानियाँ, राधा प्रेम प्रवीन |
राधा प्रेम प्रवीन, साँवरे व्यस्त हुवे हैं |
खाई हमने मात, खुदे उस ओर कुंए हैं |
खाईं खन्दक ढेर, नहीं अब जाए साधा |
दिखे युद्ध आसन्न, महाभारत की बाधा |
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
प्रत्युत्तर देंहटाएंशानदार गजल के लिए ढेरों बधाई
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत सुंदर !
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत ही शानदार गजल....
प्रत्युत्तर देंहटाएं:-)
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १/१० /१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है।
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत बढ़िया,लाजबाब शेर !
प्रत्युत्तर देंहटाएंRECENT POST : मर्ज जो अच्छा नहीं होता.
प्रत्युत्तर देंहटाएंअयोध्या में न था संभव जहाँ कुछ राम से पहले,
वहीँ गोकुल में कुछ होता न था घनश्याम से पहले,
बड़े ही प्रेम से श्री राम जी लक्ष्मण से कहते हैं,
अनुज बाधाएँ आती हैं भले हर काम से पहले,
समर्पित गोपियों ने कर दिया जीवन मुरारी को,
नहीं कुछ श्याम से बढ़कर नहीं कुछ श्याम से पहले,
हमारा प्रेम होता जो कन्हैया और राधा सा,
समझ लेते ह्रदय की भावना पैगाम से पहले,
भले लक्ष्मी नारायण कहता है संसार हे राधा,
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले....
बहुत सशक्त सौद्देश्य प्रस्तुति -कहाँ राधाकृष्ण का दिव्य प्रेम और उनकी योगमाया और कहाँ हम अनंत भाई। राधा कृष्ण का विलास हैं निजी शक्ति हैं पर्सनल पावर हैं सीता राम की हैं।
न राधा श्याम से पहले, न सीता राम से पहले ,
यही है योगमाया न इससे और कुछ पहले।
हमारा प्रेम होता जो कन्हैया और राधा सा,
प्रत्युत्तर देंहटाएंसमझ लेते ह्रदय की भावना पैगाम से पहले,
वाह वाह बहुत खूब
बचपन
अहा, बहुत सुन्दर
प्रत्युत्तर देंहटाएंराधा स्वीकार !
प्रत्युत्तर देंहटाएंक्रष्ण मनुहार है !
जयकार है !
meter se naap kar gagal likhna koi tumse seekhe :)
प्रत्युत्तर देंहटाएंtum to guru ho bhai........
बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल
प्रत्युत्तर देंहटाएंनवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान
शुक्रिया अनंत भाई आपकी सादर टिप्पणियों का। आप बहुत अच्छा काम कर रहें हैं महनत से।
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत सुन्दर .
प्रत्युत्तर देंहटाएंनई पोस्ट : भारतीय संस्कृति और कमल
नई पोस्ट : पुरानी डायरी के फटे पन्ने
इस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :-03/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -15 पर.
प्रत्युत्तर देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा