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रविवार, 1 सितम्बर 2013

संगमरमर सा बदन हाय भुलाये न बने

ग़ज़ल
बह्र: रमल मुसम्मन् मख्बून मक्तुअ

गम छुपाये न बने जख्म दिखाये न बने,
आह जब पीर बढ़े वक़्त बिताये न बने,

रेशमी जुल्फ घनी, नैन भरे काली घटा,
संगमरमर सा बदन हाय भुलाये न बने,

शबनमी होंठ गुलाबों से अधिक कोमल हैं,
सेतु तारीफ का मुश्किल है बनाये न बने,

रातरानी सी जो मुस्कान खिली होंठों पर,
हुस्न कातिल ये तेरा जान बचाये न बने

मौत जिद पे है अड़ी साथ लेके जाने को,
क्या बने बात जहाँ बात बनाये न बने...

12 टिप्‍पणियां:

  1. राजेंद्र कुमार1 सितम्बर 2013 6:01 pm

    रेशमी जुल्फ घनी, नैन भरे काली घटा,
    संगमरमर सा बदन हाय भुलाये न बने
    प्रेम रस से सराबोर बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुती,बार बार पढने को जी चाहता है।

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  2. धीरेन्द्र सिंह भदौरिया1 सितम्बर 2013 7:56 pm

    वाह बहुत उम्दा गजल ,,,

    RECENT POST :"सवैया छंद"फूल बिछा न सको

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  3. प्रवीण पाण्डेय1 सितम्बर 2013 7:56 pm

    वाह, बहुत खूब व सशक्त

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  4. shorya Malik2 सितम्बर 2013 8:17 am

    रातरानी सी जो मुस्कान खिली होंठों पर,
    हुस्न कातिल ये तेरा जान बचाये न बने


    वाह बहुत सुंदर ,

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  5. दिगम्बर नासवा2 सितम्बर 2013 12:30 pm

    रेशमी जुल्फ घनी, नैन भरे काली घटा,
    संगमरमर सा बदन हाय भुलाये न बने,...

    होता है जब इश्क परवान बन के चढ़ता है ...
    लावाब गज़ल है ...

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  6. सरिता भाटिया3 सितम्बर 2013 6:49 am

    खुबसूरत गजल
    अरुण

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  7. Neeraj Kumar3 सितम्बर 2013 8:46 am

    बेहतरीन ग़ज़ल भाई जी

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  8. Sushil Kumar Joshi3 सितम्बर 2013 9:16 am

    कुछ ले लेते
    :)
    बहुत सुंदर !

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  9. Reena Maurya3 सितम्बर 2013 2:28 pm

    बहुत बढियां गजल..
    :-)

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  10. Lalit Chahar5 सितम्बर 2013 6:44 am

    सभी पाठकों को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} परिवार की ओर से शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    --
    सादर...!
    ललित चाहार

    शिक्षक दिवस और हरियाणा ब्‍लागर्स के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि ब्लॉग लेखकों को एक मंच आपके लिए । कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | यदि आप हरियाणा लेखक के है तो कॉमेंट्स या मेल में आपने ब्लॉग का यू.आर.एल. भेज ते समय HR लिखना ना भूलें ।

    चर्चा हम-भी-जिद-के-पक्के-है -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-002

    - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}
    - तकनीक शिक्षा हब
    - Tech Education HUB

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  11. Ankur Jain5 सितम्बर 2013 10:07 pm

    सुंदर प्रस्तुति।।।

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  12. Naveen Mani Tripathi6 सितम्बर 2013 9:41 pm

    bhai Husn katil hai jan bachaye na bache ......gajal ke hr sher lajbab ...badhai apko

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