Friday, May 4, 2012

तेरी बक्शी सजा का चयन कर लिया

तेरी बक्शी सजा का चयन कर लिया,
मैंने खुदको जलाकर दफ़न कर लिया, 
रिमझिम गिर रहा है सावन मुझमे तबसे,
जबसे सागर उठाकर नयन भर लिया,
हैं मुझसे बरकरार तेरी घर की सारी खुशियाँ,
तेरे हिस्से का मैंने गम भी सहन कर लिया,
जीते जी खूब बरसी मुझपे तेरी मोहोब्बत,
बाकी थोड़ी बची को कफ़न कर लिया.....

Thursday, May 3, 2012

जान की खातिर

वो बहुत माहिर है दिलों के खेल का शातिर भी है,
बाद दिल के खतरा अब जान की खातिर भी है,
मुझमे छोड़ा नहीं कुछ बस एक यादों के शिवा, 
 
जिस्म में बाकी साँसों के लिए काफिर भी है,
जिससे बच कर भटक रहा हूँ दर-बदर,
वही मेरे साथ हर सफ़र का
मुसाफिर भी है....

नजरिया बदल गया

नज़रों के देखने का नजरिया बदल गया,
दिलों में बह रहा , दरिया बदल गया,
कल तक मुझे संभाला आज जख्मों से किया छलनी,
क्या हुआ जो प्यार करने का जरिया बदल गया,
देर रात तलक एक दूजे से बात करके सोये,
सुबह के साथ - साथ संवरिया बदल गया.

जूनून

कैसा सवार तुझपर ये जूनून हो गया,
तेरी नज़र से मेरा आज खून हो गया,
दिल की चोट से बुरा हाल हो रहा था,
तेरा ख्याल आया तो शुकून हो गया,
मैंने बसा ली लहरों पे अपनी बस्ती,
किराये की जिंदगी से मेहरून हो गया....

धागा प्यार का


धागा प्यार का अगर यूँ उलझता नहीं,
इस जुस्तजू को मैं कभी समझता नहीं,
आंशुओं के यूँ रोज़ न आने की खबर होती,
बनकर बदल जो खुद मैं बरसता नहीं,
रातें बनकर अँधेरा जो फैली ना होती,
कोई उन्जालों के खातिर तरसता नहीं.

लगता है मैंने चोट, फिर बहुत बड़ी पाई

अचानक हालत में जो खुद की गड़बड़ी पाई,
लगता है मैंने चोट, फिर बहुत बड़ी पाई,
छोड़ कर शहर तेरा मैं जहाँ भी गया,
मुश्किलें हर मोड़ पर मैंने है खड़ी पाई,
पता चला क्यूँ मुझे चोट मिलती है बार-२,
तमाम नज़रें अपनी तस्वीर पर गड़ी पाई,
यूँ तो मिलती रहीं सजाएं बहुत मगर,
सजा इश्क में क्यूँ इतनी कड़ी पाई.
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