तेरी बक्शी सजा का चयन कर लिया,
मैंने खुदको जलाकर दफ़न कर लिया,
रिमझिम गिर रहा है सावन मुझमे तबसे,
जबसे सागर उठाकर नयन भर लिया,
हैं मुझसे बरकरार तेरी घर की सारी खुशियाँ,
तेरे हिस्से का मैंने गम भी सहन कर लिया,
जीते जी खूब बरसी मुझपे तेरी मोहोब्बत,
बाकी थोड़ी बची को कफ़न कर लिया.....
मैंने खुदको जलाकर दफ़न कर लिया,
रिमझिम गिर रहा है सावन मुझमे तबसे,
जबसे सागर उठाकर नयन भर लिया,
हैं मुझसे बरकरार तेरी घर की सारी खुशियाँ,
तेरे हिस्से का मैंने गम भी सहन कर लिया,
जीते जी खूब बरसी मुझपे तेरी मोहोब्बत,
बाकी थोड़ी बची को कफ़न कर लिया.....