ये दुनिया है दिलवालों की

Monday, April 16, 2012

दर्दे-दिल को उमरभर पालती जिंदगी

ख़ुशी के मौके दूर से टालती जिंदगी,
दर्दे-दिल को उमरभर पालती जिंदगी,
धकेल कर खुद को जलती आग में,
बड़े शौक से खुद को उबालती जिंदगी,
कि झोंके ने आशियाना उजाड़ डाला,
बिखरे तिनकों को संभालती जिंदगी,
बैठ कर फुर्सत में एक दिन यूँ ही,
भार जख्मों का तौलती जिंदगी,
फैला रेत का कारवां मिलो तलक,
भार के मुट्ठी रेत फिसालती जिंदगी,
इंतज़ार करते-२ नयी सुबह कि,
रात आँखों में ढालती जिंदगी,
रूठे-2 से क्यूँ लोग मुझसे रहते हैं,
वजह इस बात की खंगालती जिंदगी.

भारत में भर रहा भ्रष्टाचार का तराजू

भारत में भर रहा भ्रष्टाचार का तराजू,
अंधों के राज़ में होता अंधेर है राजू,
कुछ और ये समय जो यूँही चलेगा,
सोने के भाव में बिकेगा फिर काजू,
देखा है सभी ने, बोला नहीं किसी ने,
रिश्वतखोर सबके रहते हैं आजूबाजू,
ज्ञान से हीन नेता बने बैठे महात्मा
डाकू हैं लुटेरे हैं पर कहते खुद को साधू,
 

Sunday, April 15, 2012

वो खुबसूरत मेरी अब रिहाइश नहीं रही

अब चीज़ कोई पास मेरे नाइश नहीं रही,
वो खुबसूरत मेरी अब रिहाइश नहीं रही,
जो कुछ भी पास था सब तुझपे लुटा चुका
देने की तुझे कुछ भी गुनजाइश नहीं रही,
बदनाम करना चाहा मुझे चाहत की आड़ में,
मगर मेरी चाहत अब नुमाइश नहीं रही,
खामखा दर्द दिया, निहायत तुम बुरी हो,
प्यार के सिवा मेरी और फ़रमाइश नहीं रही,
मिलने को मुझे अब मिलता बहुत कुछ है,
पर दिल में मेरे अब कोई ख्वाइश नहीं रही,
ना ढूंढ़ मेरी पलकों पर बहते आंशुयों को,
मेरी नज़रों में बारिशों की पैदाइश नहीं रही.
कि मुझको खुबसूरत साथी बहुत मिले,
तेरे शिव दिलकी दूजी च्वाइश नहीं रही,

Saturday, April 14, 2012

प्यार को कफ़न बना लिया

तुझे प्यार करने का जो मन बना लिया,
जमाने को कसम से दुश्मन बना लिया,
कौन मार दे मुझे, ये तक खबर नहीं,
डर से घबराया खुदका बदन बना लिया,
समझ के फूल चुने कांटे इतने,
कि दिल में जख्मो का एक चमन बना लिया,
बुझती चिंगारी ने जलाया घर मेरा ,
तुझे सपने में जो दुल्हन बना लिया,
पी-पी के बहते अश्कों का पानी,
कुछ दिन जीने का साधन बना लिया,
लगी ठोकर जब, तो पता चला कि ,
मैंने पत्थरों से अपना आँगन बना लिया,
बहते लहू ही इस बात का साबुत है
तन को जख्मों का उत्पादन बना लिया,
पास जो भी था लुटा कर मैंने,
दिल कि बिमारी को ही धन बना लिया,
कोशिशें नाकाम रही तुझे भुलाने की,
जहन में यादों का यूँ बंधन बना लिया,
खुदा माना तेरे प्यार को जिंदगी भर,
मरते वखत प्यार को कफ़न बना लिया.....

हो रहे हैं टुकड़े मेरे जिस्म के

हो रहे हैं टुकड़े मेरे जिस्म के,
दर्द करते हैं दर्द कई किस्म के,
हवा गम की तबियत जुदा करती है,
सांस लेने से बढ़ें घाव जख्म के,
इंतज़ार की उमर बड़ी है कितनी,
वक़्त बाकी है अभी काँधे की रस्म के.....

Thursday, April 12, 2012

अहम किरदार तुम्ही हो

मेरी साँसों के लिए अहम किरदार तुम्ही हो,
दिल के अन्दर भी तुम नज़र के पार तुम्ही हो,
ना जानता हूँ तुम्हे, ना ही तुमसे पहचान है,
फिर भी बसती
क्यूँ  मेरी तुझमे ही जान है
दिल की दुनिया के अब तो सरकार तुम्ही हो,
सिकन चेहरे की तुम्हे देख भूल जाता हूँ,
लिखते-लिखते मैं कही लेख भूल जाता हूँ,
लबों पे रखी मेरी ख़ुशी का बाज़ार तुम्ही हो,
तुम कहो जो, वो मैं कर जाऊं,
तुम कहो तो जियूं तुम कहो तो मर जाऊं, 
कि मेरे जीने-मरने के हक़दार तुम्ही हो,

ज़रा करीब आ तुझे प्यार से सराबोर कर दूँ

ज़रा करीब आ तुझे प्यार से सराबोर कर दूँ,
मेरे जीवन का सारा सुख तेरी ओर कर दूँ,
चाहूँगा तुझको मैं , पूरी इमानदारी से,
तेरे हांथों में अपनी साँसों की बागडोर कर दूँ,
रहकर पहलू में तेरी दिन से शाम करूँ,
रात भर जागकर तेरी आँखों में भोर कर दूँ,
इक तेरे शिवा दिल में कुछ अरमान नहीं,
खुदको इश्क में तेरे इतना कठोर कर दूँ,
बिछा के पलकों पे तेरे हुस्न की चादर,
निगाहों को तेरी तस्वीर का चोर कर दूँ,
संभल सके ना जिंदगी
बिना तेरे सहारे के
खुद को तेरे बिना मैं इतना कमजोर कर दूँ......

Wednesday, April 11, 2012

प्यार की नदी

मोहोब्बत का बरस तो कभी चाहत की सदी,
कभी इश्क का सागर कभी प्यार की नदी,
कभी पतझड़ का महीना कभी डाल फूलो से लदी,
कभी सुख का छाया कभी दुःख की बदी,
कभी खाली एक बोतल कभी मयकदी,
कभी बात न करे कभी कराये खुशामदी,
कभी लगता है प्यार है कभी लगे दिल्लगी,
कभी मुझमे सो गयी कभी मुझमे है जगी,
कभी जाँ की मेरी दुश्मन कभी मेरी जिंदगी..

तुझसे दूरी में नहीं तुझसे मिलने में भय है

तुझसे दूरी में नहीं तुझसे मिलने में भय है,
कूंट - कूंट कर यूँ तूने भरा दर्द से हृदय है,
देखेंगे मरते-मरते ताकत तेरी सितम का,
मरने में अभी मुझको बाकी ज़रा समय है
छोड़ दिया हंसीं ने मेरे होंठो को तनहा,
 
होनी खुशियों की बर्बादी भी अब तय है,
मेरा नसीब है मुझे बदनामी मिलनी थी,
लांछन मेरी किस्मत में लिखा निश्चय है,
कभी,कहीं किसी राह पर तुझे न दुःख दे रब,
हाँथ जोड़कर "अरुन" यही करता विनय है,

शिकवा नहीं कसम से मैं करता हूँ सिफारिश

शिकवा नहीं कसम से मैं करता हूँ सिफारिश,
तुम मेरा तन भिगो दो चाहत की करके बारिश,
जीने दो मुझे कल तक, या आज मार दो तुम,
मैंने बना दिया अपनी साँसों का तुझको वारिश,
जी भर के देख लूँ मैं, बस इक बार सामने आ,
तेरी तस्वीर खींचने की आँखों ने की गुजारिश,
 
ख्वाइश है ये ज़रा सी तमन्ना भी बस यही है, 
कभी मेरे जहन से न मिटे प्यार की ये खारिश....
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