इन्फोसिस के शेयरों में 4% उछाल, promoters ने 18,000 करोड़ बायबैक से दूर रहने का इरादा
जब इन्फोसिस लिमिटेड ने 11 सितंबर 2025 को 18,000 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक की मंजूरी दी, तो मार्केट में हलचल मच गई। इस खरीद‑समझौते में 10 करोड़ फ़ुल‑पेड शेयर, यानी कुल पूंजी का 2.41%, ₹1,800 प्रति शेयर की कीमत पर खरीदना शामिल है — जो उस दिन के क्लोज़िंग मूल्य ₹1,512.60 से 19% प्रीमियम है। उसी क्षण, नारायण मूर्ति, नंदन निलेकनी और सुधा मूर्ति सहित उनके परिवार के सदस्य इस बायबैक में हिस्सा नहीं लेंगे, यह घोषणा उसी फ़ाइलिंग में की गई। परिणामस्वरूप, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया (NSE) में इन्फोसिस के शेयरें लगभग 4% ऊपर बंद हुईं, जिससे निवेशकों को भरोसा मिला कि कंपनी की लंबी अवधि की ग्रोथ पर प्रमोटर्स का भरोसा बना हुआ है।
बायबैक का इतिहास और पृष्ठभूमि
इन्फोसिस ने पहले 2017, 2019 और 2022 में समान‑समान पूँजी वापसी योजनाएँ चलाई थीं। 2017‑19 में लगभग 13,000 करोड़ रुपये का बायबैक किया गया था, जबकि 2022 में 9,200 करोड़ रुपये की योजना लागू हुई। ये सभी कार्यक्रम कंपनी की मजबूत बैलेंस‑शीट और पर्याप्त नकदी भंडार को दर्शाते हैं, और साथ ही शेयरधारकों को रिटर्न देने की नीति को मजबूत बनाते हैं। इतिहास बताता है कि प्रमोटर्स के नॉन‑पार्टिसिपेशन की खबरें अक्सर शेयर कीमत में सकारात्मक बदलाव लाती हैं — 2022 बायबैक के बाद इन्फोसिस के शेयरों ने छह महीने में 22% तक की वृद्धि देखी थी।
बायबैक की शर्तें और वित्तीय विवरण
बायबैक ऑफ़र का मूल्य ₹1,800 प्रति शेयर तय किया गया है, जो बाजार मूल्य से 19% अधिक है। कंपनी ने बताया कि इस समय उनकी नकदी भंडार ₹58,742 करोड़ तक पहुँच गई है (30 जून 2025 तक)। साथ ही, भारतीय आयकर अधिनियम में हुए परिवर्तन से हाई‑नेट‑वर्थ इनवेस्टर्स (HNIs) को अधिक टैक्स चुकाना पड़ेगा, जबकि रिटेल निवेशकों के लिए टेंडरिंग प्रक्रिया अपेक्षाकृत आसान बनी है।
बायबैक के दौरान सार्वजनिक शेयरधारकों का हिस्सा 86.95% से घटकर 86.63% रहने वाला है, जबकि प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 13.05% से 13.37% तक बढ़ेगी। इसका अर्थ है कि वोटिंग अधिकारों में मामूली बदलाव आएगा, लेकिन कुल मिलाकर शेयरधारकों के लिए रिटर्न उत्पन्न होगा।
प्रोमोटर्स का नॉन‑पार्टिसिपेशन और बाजार पर असर
फ़ाइलिंग में यह स्पष्ट किया गया कि अक्षता मूर्ति, रोहन मूर्ति, उनके छोटे पोते एकाग्र रोहन मूर्ति (आयु 12 वर्ष), साथ ही रोहिनी निलेकनी, निहार निलेकनी और जन्हवी निलेकनी भी इस बायबैक में भाग नहीं लेंगे। इस घोषणा को एक्सपर्ट्स ने “प्रबंधन की दीर्घकालिक ग्रोथ में भरोसे का स्पष्ट संकेत” कहा है।
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि प्रमोटर्स की भागीदारी न करने से रिटेल निवेशकों को अधिक शेयर मिलेंगे, जिससे शेयरों में तरलता बढ़ेगी और कीमत में स्थिरता आएगी। वास्तव में, इन्फोसिस के शेयरों ने बायबैक घोषणा के तुरंत बाद 4% की वृद्धि दर्ज की, जो NSE के ट्रेडिंग सत्र में रिकॉर्ड किए गए सबसे तेज़ रियोज़ में से एक था।
निवेशकों के लिए संभावित लाभ और जोखिम
टैक्स रिफॉर्म के बाद, HNI शेयरधारकों को ली गई लाभांश पर अधिक कर देना पड़ेगा, जिससे उनका टेंडरिंग अनुपात घट सकता है। दूसरी ओर, रिटेल निवेशकों के लिए टेंडरिंग रेट 20% से अधिक होने की उम्मीद है, यानी 100 शेयर टेंडर करने वाले को लगभग 20 शेयर बायबैक में स्वीकार किए जा सकते हैं। यह स्थिति विशेषकर छोटे निवेशकों के लिए आकर्षक है, क्योंकि उन्हें प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलता है।
फिर भी, एक जोखिम है — यदि बायबैक प्रक्रिया में ओवर‑सब्सक्रिप्शन हुआ तो कुछ शेयरधारकों को उनका अनुरोधित शेयर नहीं मिल पाएगा। साथ ही, बायबैक के दौरान शेयर कीमत में अल्पकालिक उतार‑चढ़ाव भी हो सकता है, जिससे ट्रेडिंग‑स्ट्रैटेजी वाले निवेशकों को सतर्क रहना पड़ेगा।
आगे का रास्ता और नियामक आवश्यकताएँ
बायबैक ऑफ़र के लिए सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) ने न्यूनतम 13 दिन और अधिकतम 21 दिन की अवधि निर्धारित की है। विस्तृत ऑफ़र डॉक्युमेंट को बोर्ड की स्वीकृति के 15 दिनों के भीतर SEBI के पास फाइल करना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया के दौरान, सभी टेंडरिंग आवेदन इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल पर जमा किए जाएंगे, और रजिस्टर्ड शेयरधारकों को उनके टेंडर की स्थिति का रीयल‑टाइम अपडेट मिलेगा।
इन्फोसिस ने कहा है कि बायबैक पूरी तरह से कंपनी की पूँजी वापसी नीति के तहत किया जा रहा है, और भविष्य में भी अतिरिक्त बायबैक या डिविडेंड घोषणाओं की संभावना को खुला रखा गया है। बाजार के दर्शकों के लिए यह संकेत है कि कंपनी के पास अभी भी पर्याप्त नकदी शक्ति है और वह शेयरधारकों को लाभ देने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा रही है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बायबैक के बाद इन्फोसिस के शेयरधारकों को क्या लाभ मिलेगा?
यदि आप रिटेल निवेशक हैं, तो 20% से अधिक टेंडरिंग रेट के कारण आपको अपने शेयरों का बड़ा हिस्सा वापस मिलने की संभावना है, जिससे तत्काल नकदी प्राप्त होगी। साथ ही, बायबैक के बाद शेयर कीमत में स्थिरता और संभावित प्रीमियम भी मिल सकता है।
प्रोमोटर्स ने बायबैक से दूर रहने का फैसला क्यों किया?
विशेषজ্ঞों के अनुसार, यह संकेत है कि कंपनी के पास पर्याप्त नकदी है और प्रबंधन को अपने भविष्य के विकास पर भरोसा है। साथ ही, नॉन‑पार्टिसिपेशन रिटेल शेयरधारकों को अधिक फायदेमंद बनाने के लिए एक रणनीतिक कदम माना गया है।
बायबैक के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि कब है?
SEBI ने बायबैक ऑफ़र अवधि को न्यूनतम 13 दिन और अधिकतम 21 दिन निर्धारित किया है। इन्फोसिस ने अभी तक सटीक प्रारम्भ तिथि प्रकाशित नहीं की है, लेकिन बोर्ड की स्वीकृति के 15 दिनों के भीतर विस्तृत दस्तावेज़ SEBI को भेजे जाएंगे।
टैक्स बदलाव से HNI निवेशकों को कैसे असर पड़ेगा?
नया आयकर नियम बायबैक से मिलने वाले लाभ पर उच्च कर दर लागू करता है, जिससे HNI शेयरधारकों के लिए टेंडरिंग लागत बढ़ जाती है। इस कारण वे अक्सर बायबैक में कम हिस्सा टेंडर करते हैं, जिससे रिटेल निवेशकों को अतिरिक्त शेयर मिलते हैं।