अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025: 'त्वरित कार्रवाई' के नारे पर 2158 तक लिंग समानता का इंतजार

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025: 'त्वरित कार्रवाई' के नारे पर 2158 तक लिंग समानता का इंतजार

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025: 'त्वरित कार्रवाई' के नारे पर 2158 तक लिंग समानता का इंतजार

नव॰, 21 2025 | 0 टिप्पणि |

8 मार्च 2025 को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को 'त्वरित कार्रवाई' के नारे के साथ मनाया जाएगा। लेकिन यह जश्न किसी उपलब्धि का नहीं, बल्कि एक चेतावनी है: विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, अगर वर्तमान गति बनी रही, तो लिंग समानता की प्राप्ति 2158 तक इंतजार करनी पड़ेगी — यानी पाँच पीढ़ियाँ और लगभग 133 साल। यह आँकड़ा सिर्फ एक सांख्यिकी नहीं, बल्कि एक ऐसा दर्द है जिसे हम अभी भी नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।

क्यों 'त्वरित कार्रवाई'? एक दुनिया जो अभी भी धीमी गति से चल रही है

इस साल का विषय 'त्वरित कार्रवाई' सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक आपातकालीन आह्वान है। H.E.L Group की डायरेक्टर ऑफ़ पीपल सरेन्नाह लॉन्गवर्थ-कूक कहती हैं, 'महिलाओं के अधिकारों का मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। सभी लिंगों के लिए समानता के फायदे उठाने के लिए अभी भी काम बाकी है।' उनकी टीम के सदस्यों ने इसे व्यावहारिक रूप में देखा: टिना स्कॉट, प्रोडक्शन मैनेजर, बताती हैं कि यह 'समानता के लिए जागरूकता, गति और कार्रवाई बढ़ाने का सामूहिक प्रयास' है। और पूर्णिमा पारखी, भारत में एप्लिकेशन लीड, सीधे तौर पर कहती हैं — 'महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना। आपस में प्रतिस्पर्धा या पुरुषों के खिलाफ लड़ाई के बजाय, उन्हें समान अवसर देना।'

इस बार के फोकस क्षेत्र अत्यंत व्यापक हैं: नौकरी में समान अवसर, नेतृत्व के पदों पर महिलाओं की भागीदारी, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में उनका समावेश, आर्थिक सुविधाओं तक पहुँच, शिक्षा, स्वास्थ्य और खेलों में समान अवसर। लेकिन यहाँ एक अहम बात: इन सबका कोई भी बिंदु अकेले काम नहीं करेगा।

कानून, नीतियाँ और वास्तविक बदलाव: Littler की पाँच कदम योजना

Littler नामक कानूनी फर्म के ASAP प्रैक्टिस ग्रुप ने 'त्वरित कार्रवाई' के लिए पाँच स्पष्ट, लागू करने योग्य कदम बताए हैं। पहला: नेतृत्व का सार्वजनिक प्रतिबद्धता — अगर सीईओ या डायरेक्टर खुद लिंग समानता के लिए लक्ष्य नहीं रखते, तो यह सिर्फ एक प्रेजेंटेशन होगी। दूसरा: भर्ती और प्रमोशन में बायस को खत्म करना — ब्लाइंड हायरिंग, लिंग संतुलित इंटरव्यू पैनल, लिंग-न्यूट्रल जॉब डिस्क्रिप्शन। तीसरा: मेंटरशिप और स्पॉन्सरशिप प्रोग्राम — जहाँ सीनियर महिलाएँ जूनियर्स को मार्गदर्शन दें और सीनियर पुरुष नेता उनके लिए आवाज़ बनें। चौथा: एक ऐसा संस्कृति बनाना जहाँ महिलाएँ सुरक्षित और सम्मानित महसूस करें — जिसके लिए अनैच्छिक पूर्वाग्रह पर प्रशिक्षण जरूरी है। पाँचवाँ: प्रगति को मापना — जो नहीं मापा जाता, वह नहीं बदलता।

30 साल बाद बीजिंग घोषणा: युद्ध और आपदाओं में महिलाओं की संख्या दोगुनी

2025 का विशेष महत्व यह है कि यह बीजिंग घोषणा और कार्य योजना के 30वें वर्षगांठ का साल है। 1995 में दुनिया ने महिलाओं के अधिकारों के लिए एक ऐतिहासिक वादा किया था। आज, Dianova के अनुसार, युद्ध और आपदाओं में प्रभावित महिलाओं की संख्या 1990 के दशक की तुलना में दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। कोविड-19 के बाद घरेलू हिंसा में 70% की बढ़ोतरी हुई, अनुपलब्ध देखभाल के बोझ ने लाखों महिलाओं को नौकरी से बाहर कर दिया, और बच्चों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ा। ये सिर्फ आँकड़े नहीं — ये वो जीवन हैं जो अभी भी बर्बाद हो रहे हैं।

यूएन और इंटरनेशनल वुमेन्स डे के बीच भिन्नता: कौन सा थीम सही है?

यूएन और इंटरनेशनल वुमेन्स डे के बीच भिन्नता: कौन सा थीम सही है?

यहाँ एक अजीब बात है: संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर 2025 के लिए थीम 'For ALL Women and Girls: Rights. Equality. Empowerment' दिया गया है। लेकिन internationalwomensday.com और इसके सहयोगी संगठन — जिनमें H.E.L Group, Dianova, और विश्व आर्थिक मंच शामिल हैं — 'त्वरित कार्रवाई' को दुनिया भर में प्रचारित कर रहे हैं। यह भिन्नता कोई छोटी बात नहीं। यह दर्शाती है कि लिंग समानता के लिए एक सामूहिक आवाज़ अभी तक नहीं बन पाई है। क्या हम एक दर्जन अलग-अलग अभियानों के साथ एक ही लक्ष्य के लिए लड़ रहे हैं? या फिर, क्या यह वास्तव में एक असफलता है — जहाँ बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन एकजुटता नहीं?

यूनिवर्सिटी ऑफ़ द हाइलैंड्स एंड इंस्टीट्यूट्स के एक प्रतिनिधि ने कहा: 'इस बार का थीम दर्शाता है कि तकनीकी रिपोर्ट्स और रणनीतियों की जगह अब अधिक कार्रवाई की जरूरत है। चलो काम करें!' और यही सच है।

आम आदमी क्या कर सकता है?

यह सिर्फ कंपनियों या सरकारों का मामला नहीं है। आप अपने घर में एक पुरुष के रूप में अपने बेटे को बता सकते हैं कि घर का काम लड़कियों का काम नहीं है। आप अपनी कंपनी में एक महिला सहकर्मी के लिए एक अवसर का जिक्र कर सकते हैं। आप अपने बच्चे की शिक्षा में लिंग-न्यूट्रल भाषा का समर्थन कर सकते हैं। यह छोटी-छोटी कार्रवाइयाँ ही बड़े बदलाव की नींव बनती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

'त्वरित कार्रवाई' का मतलब आम नागरिकों के लिए क्या है?

यह बस जुलूस निकालने का मामला नहीं। आप अपने घर में लड़कियों के लिए खेल के अवसर, शिक्षा और निर्णय लेने की स्वतंत्रता को बढ़ावा दे सकते हैं। ऑफिस में, एक महिला के विचार को अनदेखा न करें, उसकी बात पर ध्यान दें। यही छोटी-छोटी क्रियाएँ दशकों में बड़े बदलाव लाती हैं।

2158 तक लिंग समानता क्यों नहीं मिल पा रही?

विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, वर्तमान प्रगति की गति से लगभग 133 साल लगेंगे। कारण: नौकरी में लिंग भेदभाव, असमान वेतन, देखभाल के जिम्मेदारी का असमान बँटवारा, नेतृत्व के पदों पर महिलाओं की कमी और सामाजिक रूढ़ियाँ। ये सभी चीजें धीरे-धीरे बदल रही हैं, लेकिन बहुत धीरे।

भारत में इस समानता की स्थिति कैसी है?

भारत में महिला श्रम बल भागीदारी केवल 37% है — जो विश्व की औसत 50% से काफी कम है। आर्थिक सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को ऋण, बीमा और उद्यमिता के लिए ट्रेनिंग की आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और आंतरिक यात्रा की सुविधाएँ अभी भी अपर्याप्त हैं।

क्या पुरुषों की भूमिका 'त्वरित कार्रवाई' में महत्वपूर्ण है?

बिल्कुल। एक यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि ने कहा — 'सभी लिंगों की जिम्मेदारी है।' पुरुषों को घरेलू काम में भाग लेना चाहिए, नेतृत्व में महिलाओं को समर्थन देना चाहिए, और अपने बच्चों को लिंग रूढ़ियों के खिलाफ प्रशिक्षित करना चाहिए। बदलाव का एक तरफा संघर्ष नहीं है — यह एक साझा जिम्मेदारी है।

क्या सरकारें वास्तव में कुछ कर रही हैं?

कुछ कर रही हैं — जैसे भारत में महिला उद्यमियों के लिए प्रायोजित ऋण योजनाएँ, या लिंग समान छुट्टियों का नियम। लेकिन इनका लागू होना अक्सर बुरा है। अधिकांश नीतियाँ दस्तावेज़ तक सीमित रह जाती हैं। वास्तविक बदलाव के लिए नीतियों के साथ साथ जागरूकता और जवाबदेही की जरूरत है।

क्या इस वर्ष का थीम वास्तव में अलग-अलग है?

हाँ। संयुक्त राष्ट्र 'For ALL Women and Girls: Rights. Equality. Empowerment' को ऑफिशियल थीम घोषित करता है, जबकि internationalwomensday.com 'Accelerate Action' को प्रचारित करता है। यह भिन्नता दर्शाती है कि लिंग समानता के लिए एक सामूहिक आवाज़ अभी तक नहीं बन पाई है — जो खुद एक बड़ी चुनौती है।

लेखक के बारे में

विवेक रत्नप्रकाश

विवेक रत्नप्रकाश

नमस्कार, मेरा नाम विवेक रत्नप्रकाश है। मैं एक मनोरंजन विशेषज्ञ हूं और भारतीय जीवन और संस्कृति के बारे में लिखना पसंद करता हूं। मेरा एक भारतीय ब्लॉग है जहां मैं भारत की विविधता और अनूठी संस्कृति के बारे में लेख लिखता हूं। मेरी यात्राओं के दौरान मैं अपने अनुभवों को साझा करने के लिए फोटोग्राफी और वीडियो बनाना भी प्रिय करता हूं। मैं हमेशा भारत की अमूल्य धरोहर और संस्कृति को दुनिया भर में प्रसारित करने के लिए काम करता हूं।

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