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ब्लॉगिंग से पैसे कमाने के पीछे का असली सच क्या है?

ब्लॉगिंग से पैसे कमाने के पीछे का असली सच क्या है?

ब्लॉगिंग एक अत्यंत आकर्षक तरीका है जिससे आप अपने किसी भी विषय पर आसानी से लेख लिख सकते हैं और पैसे कमा सकते हैं। यह आसानी से कमाई के लिए एक अच्छा विकल्प है। लेकिन क्या आपको सच में पैसे कमाने के लिए करने की आवश्यकता है?

सच्चाई यह है कि आपको ब्लॉगिंग से पैसे कमाने के लिए अपने ब्लॉग को व्यापक तरीके से प्रचार करना होगा। आपको अपने ब्लॉग को प्रसारित करने के लिए अलग-अलग प्रकार के तरीकों का उपयोग करना होगा। आपको अपने ब्लॉग को सोशल मीडिया पर प्रचार करना होगा, अपने लोगों को अपने आपको प्रमुख रूप से पहचानने के लिए अपनी वेबसाइट को आकर्षित रखना होगा और अधिक से अधिक लोगों तक अपनी ब्लॉग पहुँचाने के लिए अपने ब्लॉग का प्रचार करना होगा। यह सभी स्थितियों में आपको मेहनत करनी होगी और आपको अपने लोगों को अपनी ब्लॉग के बारे में सिखाने की आवश्यकता होगी।

सबसे आम बात यह है कि अगर आप ब्लॉगिंग से पैसे कमाना चाहते हैं तो आपको अपनी ब्लॉग को प्रचार करने के लिए अधिक मेहनत करनी होगी। आपको अपने ब्लॉग को सोशल मीडिया पर प्रचार करने के लिए समय और प्रयास की आवश्यकता होगी, अपने लोगों को अपने आपको पहचानने के लिए अपनी वेबसाइट को आकर्षित रखना होगा और अधिक से अधिक लोगों तक अपनी ब्लॉग पहुँचाने के लिए अपने ब्लॉग का प्रचार करना होगा।

ब्लॉगिंग से पैसे कमाने के लिए आपको एक समय और और मेहनत करनी होगी। आपको अपनी ब्लॉग को हमेशा अपडेट करते रहना होगा और अपने पाठकों को अपने साथ रुचि रखने के लिए नई सामग्री को अपडेट करना होगा। आपको अपनी ब्लॉग को विजिट करने और विशेषताएं व्यापक रूप से विकसित करने की आवश्यकता होगी। आपको अपने पाठकों से संपर्क रखना होगा और सामाजिक मीडिया प्रदर्शनों के माध्यम से अपने ब्लॉग को प्रचार करने का उपयोग करना होगा।

ब्लॉगिंग से पैसे कमाने के लिए, आपको अपने ब्लॉग का हिस्सारख प्रमुखता और सम्पत्ति सुधारने के लिए अपने ब्लॉग को बहुत ही निर्भरताजनक और अच्छे तरीके से प्रचार करना होगा। आपको अपने ब्लॉग को व्यापक प्रकार से प्रचार करने और भी अधिक लोगों को आपके ब्लॉग तक पहुंचाने के लिए कुछ अन्य तरीके भी अपनाने होंगे। आपके ब्लॉग को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए आपको सोशल मीडिया का उपयोग करना होगा। आपको अपने व्यक्तिगत व्यवसाय के लिए अपनी प्रोफाइल को अच्छे से प्रचार करने के लिए और अधिक लोगों को अपने ब्लॉग तक पहुंचाने के लिए अच्छे तरीके भी अपनाएंगे।

आपको अपने ब्लॉग को आपके पास उपलब्ध सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर पोस्ट करने के लिए अपने आगंतुकों को आमंत्रित करना होगा। आपको अपने आगंतुकों को उनके सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपने ब्लॉग पोस्ट के बारे में जानकारी देने के लिए आमंत्रित करना होगा। आपको अपने आगंतुकों को अपने ब्लॉग पोस्ट को शेयर करने के लिए आमंत्रित करना होगा।

आपको अपने ब्लॉग को अच्छे तरीके से प्रचार करना और अपने आगंतुकों को अपने ब्लॉग पोस्ट को शेयर करने के लिए आमंत्रित करना होगा ताकि आपके ब्लॉग को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके। यदि आपके ब्लॉग को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जाता है, तो आपको अधिक से अधिक आय कमाने के लिए अधिक मौके मिलेंगे।

ब्लॉगिंग से पैसे कमाने के पीछे सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ आसान तरीके हैं। पहले आपको अपनी ब्लॉग को प्रमुखीकरण करना होगा। आपको हमेशा इस बात का ध्यान रखना होगा कि आपकी ब्लॉग में उच्च गुणवत्ता की जानकारी प्रदान करना होगा। आपको विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता की जानकारी प्रदान करनी होगी।

अगर आप सही तरीके से अपनी ब्लॉग को प्रमुखीकरण कर रहे हैं, तो आपको संपादकों और अन्य उपयोगकर्ताओं को आपकी ब्लॉग पर आकर रुकने को मजबूती से प्रोत्साहित करना होगा। आपको अपने ब्लॉग को कम्पलीट करना होगा और पोस्ट्स को सोशल मीडिया पर शेयर करना होगा। आपको अपनी ब्लॉग की समीक्षा करने के लिए अपने प्रश्नों को उत्तर देने के लिए मॉनिटर्स और एवजीस्ट्स को आमंत्रित करना होगा।

आप सभी ये तरीके अपनाकर अपनी ब्लॉग को प्रमुखीकरण कर सकते हैं और अपनी वेबसाइट से पैसे कमा सकते हैं। आप अपने पोस्ट्स पर आधारित पैसे कमाने के लिए अपने ब्लॉग को विज्ञापनों से भी आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

Wednesday, March 1 2023

गीत: नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए

गीत:-
गुण अवगुण के मध्य भिन्नता को समझाना भूल गए।
नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए।।

अनहितकारी है परिवर्तन भाषा और विचारों में,
कड़वाहट अपनों के प्रति ही भरी हुई परिवारों में।
संबंधो के मीठे फल का स्वाद चखाना भूल गए।
नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए।।

अंधकार से घिरे हुए हैं अंतर्मन अति मैला है,
अहंकार, लालच, कामुकता का विष नस में फैला है।
सदाचार, व्यवहार, मनुजता को अपनाना भूल गए।
नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए।।

मलिन आत्मा अंतर्मन भी अंत ईश्वर के प्रति निष्ठा,
निंदनीय कृत्यों के कारण नहीं स्मरण मान प्रतिष्ठा।
धर्मं, सभ्यता, मानवता, सम्मान बचाना भूल गए।
नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए।।

Thursday, August 28, 2014

शीघ्र प्रकाश्य "सारांश समय का"


 

संकलन व विशेषांक

‘शब्द व्यंजना’ मासिक ई-पत्रिका हिन्दी भाषा व साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए दृढ संकल्पित है. पत्रिका ने लगातार यह प्रयास किया है कि हिन्दी साहित्य के वरिष्ठ रचनाकारों के श्रेष्ठ साहित्य से पाठकों को रू-ब-रू कराने के साथ नए रचनाकारों को भी मंच प्रदान करे. नियमित मासिक प्रकाशन के साथ ही पत्रिका समय-समय पर विधा-विशेष तथा विषय-विशेष पर आधारित विशेषांक भी प्रकाशित करेगी जिससे कि उस क्षेत्र में कार्यरत रचनाकारों की श्रेष्ठ रचनाओं को पाठकों तक पहुँचाया जा सके. इन विशेषांक में सम्मिलित रचनाकारों की रचनाओं को पुस्तक रूप में भी प्रकाशित करने का प्रयास होगा.
इसी क्रम में ‘शब्द व्यंजना’ का नवम्बर अंक ‘कविता विशेषांक’ के रूप में प्रकाशित किया जाएगा. साथ ही, इस अंक में सम्मिलित रचनाकारों की अतुकांत कविताओं का संग्रह पुस्तक रूप में भी प्रकाशित करना प्रस्तावित है.
पत्रिका अभी अपने शुरुआती दौर में है और व्यासायिक न होने के कारण अभी पत्रिका के पास ऐसा कोई स्रोत नहीं है जिससे पुस्तक-प्रकाशन के खर्च को वहन किया जा सके इसलिए यह कविता-संग्रह (पुस्तक) रचनाकारों से सहयोग राशि लेकर प्रकाशित किया जा रहा है.
प्रस्ताव-
कविता-संग्रह में ५० रचनाकारों को सम्मिलित किया जाना प्रस्तावित है.
कविता संग्रह २५६ पेज का होगा जिसमें प्रत्येक रचनाकार को ४ पेज प्रदान किए जाएँगे.
सहयोग राशि के रूप में रचनाकार को रु० ५५०/- (५००/- सहयोग राशि + ५०/- डाक व अन्य खर्च) का भुगतान करना होगा.
प्रत्येक रचनाकार को कविता-संग्रह की ३ प्रतियाँ प्रदान की जाएँगी.
इस संग्रह में सम्मिलित होने के लिए रचनाकार अपनी १० अतुकांत कविताएँ, अपने परिचय और फोटो के साथ 5 सितम्बर तक इस ई-मेल पर भेज सकते हैं-

[email protected]

रचनाएँ भेजते समय शीर्षक ‘संकलन हेतु’ अवश्य लिखें. यह सुनिशिचित कर लें कि रचनाओं का आकर इतना हो कि ४ पेज में अधिक से अधिक रचनाएँ सम्मिलित की जा सकें. बहुत लम्बी अतुकांत रचनाएँ न भेजें.
इन १० रचनाओं में से संग्रह में प्रकाशित करने हेतु रचनाएँ चयनित की जाएँगी. शेष रचनाओं में से विशेषांक हेतु रचनाओं का चयन किया जाएगा. चयनित रचनाओं के विषय में प्रत्येक रचनाकार को सूचित किया जाएगा.
संग्रह में रचनाकार को वयानुसार स्थान प्रदान किया जाएगा.
संग्रह का लोकार्पण लखनऊ, इलाहाबाद अथवा दिल्ली में किया जाएगा. इस संग्रह का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा तथा समीक्षा कराई जाएगी जिससे रचनाकारों के रचनाकर्म का मूल्यांकन हो सके. संग्रह में सम्मिलित रचनाकारों की रचनाओं का प्रकाशन अन्य सहयोगी पत्र-पत्रिकाओं में भी सुनिश्चित किया जाएगा जिसकी सूचना रचनाकार को प्रदान की जाएगी. रचनाकारों के रचनाकर्म का व्यापक प्रचार इन्टरनेट की विभिन्न साइटों और ब्लोग्स पर भी किया जाएगा.
सहयोग राशि का भुगतान रचनाकार को रचना चयन के उपरान्त करना होगा जिसके सम्बन्ध में रचनाकार को सूचना प्रदान की जाएगी.

Friday, August 22, 2014

एक तुम्हीं केवल जीवन में

मिट्टी से निर्मित इस तन में,
एक तुम्हीं केवल जीवन में,

अंतस में प्रिय विद्यमान तुम,
तुम ही साँसों में धड़कन में,

अधरों पर तुम मुखर रूप से,
अक्षर अक्षर संबोधन में,

सुखद मिलन की स्मृतियों में,
दुखद विरह की इस उलझन में,

मधुर क्षणों में तुम्हीं उपस्थित,
तुम्हीं वेदना की ऐठन में,

प्रखर प्रेम में पूर्ण तरह हो,
तुम हर छोटी सी अनबन में,

मानसपटल की स्थिररता में,
और तुम्हीं तुम व्याकुल मन में,

तुम्हीं कल्पना में भावों में,
तुम्हीं सम्मिलित हो लेखन में....

Monday, July 21, 2014

झाँसी की रानी पर आधारित "आल्हा छंद"

झाँसी की रानी पर आधारित 'अखंड भारत' पत्रिका के वर्तमान अंक में सम्मिलित मेरी एक रचना. हार्दिक आभार भाई अरविन्द योगी एवं सामोद भाई जी का. 

सन पैंतीस नवंबर उन्निस, लिया भदैनी में अवतार,
आज धन्य हो गई धरा थी, हर्षित था सारा परिवार,
एक मराठा वीर साहसी, 'मोरोपंत' बने थे तात,
धर्म परायण महा बुद्धिमति, 'भागीरथी' बनी थीं मात.

मूल नाम मणिकर्णिका प्यारा, लेकिन 'मनु' पाया लघु-नाम,
हे भारत की लक्ष्मी दुर्गा, तुमको बारम्बार प्रणाम
चार वर्ष की उम्र हुई थी, खो बैठी माता का प्यार
शासक बाजीराव मराठा, के पहुँचीं फिर वह दरबार,

अधरों के पट खुले नहीं थे, लूट लिया हर दिल से प्यार ,
पड़ा पुनः फिर नाम छबीली, बही प्रेम की थी रसधार,
शाला में पग धरा नहीं था , शास्त्रों का था पाया ज्ञान
भेद दिया था लक्ष्य असंभव, केवल छूकर तीर कमान,

गंगाधर झाँसी के राजा, वीर मराठा संग विवाह,
तन-मन पुलकित और प्रफुल्लित,रोम-रोम में था उत्साह,
शुरू किया अध्याय नया अब, लेकर लक्ष्मीबाई नाम,
जीत लिया दिल राजमहल का, खुश उनसे थी प्रजा तमाम

एक पुत्र को जन्म दिया पर, छीन गए उसको यमराज,
तबियत बिगड़ी गंगाधर की, रानी पर थी टूटी गाज,
दत्तक बेटा गोद लिया औ, नाम रखा दामोदर राव,
राजा का देहांत हुआ उफ़, जीवन भर का पाया घाव,

अट्ठारह सौ सत्तावन में , झाँसी की भड़की आवाम,
सीना धरती का थर्राया, शुरू हुआ भीषण संग्राम,
काँप उठी अंग्रेजी सेना, रानी की सुनकर ललकार,
शीश हजारों काट गई वह, जैसे ही लपकी तलवार,

डगमग डगमग धरती डोली, बिना चले आंधी तूफ़ान,
जगह जगह लाशें बिखरी थीं, लाल लहू से था मैदान,
आज वीरता शौर्य देखकर, धन्य हुआ था हिन्दुस्तान,
समझ गए अंग्रेजी शासक, क्या मुश्किल औ क्या आसान,

शक्ति-स्वरूपा लक्ष्मी बाई , मानों दुर्गा का अवतार
आजादी की बलिवेदी पर, वार दिए साँसों के तार
अमर रहे झांसी की रानी, अमर रहे उनका बलिदान,
जब तक होंगे चाँद-सितारे, तब तक होगी उनकी शान...

Wednesday, June 4, 2014

ग़ज़ल : मुग्धकारी भाव आखर अब कहाँ

मुग्धकारी भाव आखर अब कहाँ,
प्रेम निश्छल वह परस्पर अब कहाँ,

मात गंगा का किया आँचल मलिन,
स्वच्छ निर्मल जल सरोवर अब कहाँ,

रंग त्योहारों का फीका हो चला,
सीख पुरखों की धरोहर अब कहाँ,

सभ्यता सम्मान मर्यादा मनुज,
संस्कारों का वो जेवर अब कहाँ,

सांझ बोझिल दिन ब दिन होती गई,
भोर वह सुखमय मनोहर अब कहाँ...
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