"ये दुनिया है दिलवालों की"

Saturday, April 7, 2012

मैं चाहता हूँ तुझमे आज मर के भूल जाऊं

मोहोब्बत में तेरे मैं संवर के भूल जाऊं
मैं खुद को तेरी रूह में उतर के भूल जाऊं
जी भरके तुझको चाहत मैं कर के भूल जाऊं
आँखों में तेरी सूरत मैं भर के भूल जाऊं
होंठो की राह पर मैं गुजर के भूल जाऊं
तेरी जिस्म की नदी में मैं तर के भूल जाऊं
मैं तेरी जिंदगी में ठहर के भूल जाऊं
 
मैं सारे रास्ते अपने घर के भूल जाऊं
मैं चाहता हूँ तुझमे आज मर के भूल जाऊं

3 comments:

Sunil Kumar said...

भगवान आपकी रक्षा करे:):)

alka narula said...

beautifully expressed

Arun Sharma said...

Thanks Alka Ji

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