सिडको भूमि घोटाले में संजय शिरसाट पर 5000 करोड़ का आरोप, लोकायुक्त ने मांगी रिपोर्ट
जब संजय शिरसाट को 16 सितंबर 2024 को सिडको (सिटी एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ महाराष्ट्र) का अध्यक्ष बनाया गया, तो लोगों ने सोचा कि एक अनुभवी राजनेता शहरी विकास को नए आयाम देगा। लेकिन अगले तीन महीनों में ही उनके नाम से जुड़ा एक ऐसा घोटाला सामने आया, जिसने महाराष्ट्र की राजनीति को हिला दिया। रोहित पवार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक, ने आरोप लगाया कि शिरसाट ने अपने कार्यकाल के दौरान 150 एकड़ की कीमती भूमि को 5000 करोड़ रुपये के बजाय कौड़ियों के भाव बेच दिया — और यह जमीन उनके परिवार को हस्तांतरित कर दी गई। यह न सिर्फ भ्रष्टाचार है, बल्कि इतिहास के साथ अन्याय है। क्योंकि जमीन का जो परिवार इस्तेमाल कर रहा है, उसने मराठा साम्राज्य के खिलाफ अंग्रेजों का साथ दिया था।
कैसे शुरू हुआ यह घोटाला?
शिरसाट की नियुक्ति के ठीक तीन दिन बाद, 19 सितंबर 2024 को उन्होंने पदभार संभाला। लेकिन अगले ही महीने, एक गुप्त फाइल लीक हुई — जिसमें नवी मुंबई के एक विकास क्षेत्र में भूमि आवंटन के लिए निर्धारित कीमतें बेहद कम दर्ज थीं। एक अधिकारी ने बताया कि ये आवंटन एक ऐसे व्यक्ति को किए गए थे, जिसका नाम शिरसाट के परिवार के सदस्यों से जुड़ा था। जांच में पता चला कि इन भूखंडों की कीमत सिडको के अपने अंदरूनी अनुमान से करीब 97% कम थी। एक एकड़ जमीन का बाजार मूल्य 50 करोड़ रुपये था, लेकिन इसे 15 लाख में बेच दिया गया।
एसीबी की धाकड़ कार्रवाई
2025 में भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो (एसीबी) ने नवी मुंबई में सिडको के साथ जुड़े कई मामलों की जांच शुरू की। 12, 14, 21 और 22 अगस्त को चार अलग-अलग दिनों में जांच टीम ने सिडको के कार्यालयों में छापे मारे। शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज किए गए, ईमेल और बैंक लेन-देन के रिकॉर्ड जब्त किए गए। और फिर 10 सितंबर 2025 को एक ऐसा दृश्य सामने आया, जिसने सबको हैरान कर दिया — सिडको के सह-निबंधक कार्यालय में एक अधिकारी को 3.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। उसके बाद एक और अधिकारी को 7 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। ये सिर्फ शुरुआत है।
लोकायुक्त की आवाज: रिपोर्ट मांगी गई
इस मामले को लेकर लोकायुक्त ने अपनी आवाज उठाई। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से तत्काल एक विशेष जांच रिपोर्ट मांगी है। लोकायुक्त के एक स्रोत ने कहा, "इतनी बड़ी राशि के घोटाले में अगर कोई मंत्री शामिल है, तो इसकी जांच सिर्फ एसीबी तक सीमित नहीं होनी चाहिए। यह एक राज्य के विकास के आधार को छू रहा है।" यह बयान अब राजनीतिक दलों के बीच एक नया तानाशाह बन गया है।
राजनीति का खेल: शिंदे बनाम नाईक
यह घोटाला सिर्फ एक अधिकारी या मंत्री का नहीं, बल्कि राज्य की राजनीतिक जड़ों का है। नवी मुंबई में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और विपक्ष के नेता अजित पवार के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई में यह मामला एक नया तूफान लेकर आया है। भाजपा के कुछ नेता दावा कर रहे हैं कि रोहित पवार और शशिकांत शिंदे का यह आरोप असल में शिंदे को घेरने की साजिश है। वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता कहते हैं कि "यह एक जमीन का मामला है, न कि राजनीति का।" लेकिन जब 5000 करोड़ रुपये की जमीन बेची जा रही है, तो राजनीति का दखल अनिवार्य है।
क्या होगा अगला कदम?
शिरसाट को जनवरी 2025 में सिडको अध्यक्ष पद से हटा दिया गया, लेकिन उनके खिलाफ कोई आधिकारिक आरोप अभी तक दर्ज नहीं हुआ है। एसीबी ने अभी तक केवल प्राथमिक जांच पूरी की है। अगले चरण में उन्हें ब्यूरो के सामने पेश किया जाएगा, और अगर सबूत मजबूत हुए, तो उनके खिलाफ अपराध दर्ज किया जा सकता है। साथ ही, लोकायुक्त की रिपोर्ट आने के बाद सरकार को एक नया नियम बनाना होगा — जिसमें भूमि आवंटन के लिए एक बाहरी स्वतंत्र बोर्ड की नियुक्ति हो।
क्यों यह मामला सबके लिए महत्वपूर्ण है?
सिडको केवल एक एजेंसी नहीं है। यह महाराष्ट्र के शहरी विकास का दिल है। नवी मुंबई, पुणे, नाशिक के लाखों लोगों के घर, स्कूल, अस्पताल और सड़कें इसी के निर्णयों से बनती हैं। अगर इसकी जमीन अब भी अंधेरे में बेची जाएगी, तो आने वाली पीढ़ियां कहेंगी — "हमारे पूर्वजों ने आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन आज हमारी सरकार ने हमारी जमीन बेच दी।"
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
संजय शिरसाट पर अभी तक कोई आरोप क्यों नहीं दर्ज हुआ?
एसीबी की जांच अभी प्राथमिक चरण में है। आरोपों की पुष्टि के लिए बैंक लेन-देन, जमीन रजिस्ट्री और आंतरिक ईमेल्स की जांच चल रही है। अगर सबूत मिलते हैं, तो आरोप दर्ज किए जाएंगे। अभी तक कोई आधिकारिक आरोप नहीं है, लेकिन लोकायुक्त की रिपोर्ट आने के बाद यह तेज हो सकता है।
इस घोटाले से कौन सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है?
नवी मुंबई के लाखों आम नागरिक जो घर बनाने के लिए सिडको की जमीन चाहते हैं। जब जमीन बेहद कम दाम में एक निजी परिवार को दे दी जाती है, तो आम आदमी के लिए घर का सपना टूट जाता है। यह न्याय का मुद्दा है — जमीन तो सभी की है, लेकिन अब यह केवल कुछ चुनिंदा की हो रही है।
2025 में एसीबी ने कितने मामलों में कार्रवाई की?
2025 के पहले नौ महीनों में, एसीबी ने सिडको से जुड़े कम से कम 17 मामलों में जांच शुरू की। इनमें से 9 मामलों में अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया, और 5 मामलों में रिश्वत के सबूत मिले। शिरसाट का मामला इनमें सबसे बड़ा है — क्योंकि इसमें राजनीतिक स्तर का दखल है।
लोकायुक्त की रिपोर्ट कब आएगी?
लोकायुक्त कार्यालय ने अभी तक जांच टीम से डेटा एकत्र करने का निर्देश दिया है। अगर सभी दस्तावेज जल्दी मिल जाएं, तो रिपोर्ट अगले तीन महीनों में आ सकती है। लेकिन अगर कोई दस्तावेज छिपाया गया है, तो यह छह महीने तक टाला जा सकता है।
क्या यह घोटाला भाजपा या राष्ट्रवादी कांग्रेस के लिए राजनीतिक लाभ का मामला है?
हां, राजनीतिक दलों के लिए यह एक अवसर है। भाजपा इसे राष्ट्रवादी कांग्रेस के भ्रष्टाचार का सबूत बना रही है, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस इसे शिंदे सरकार के अंदरूनी खिंचाव का परिणाम बता रही है। लेकिन असली सवाल यह है — क्या यह घोटाला अगले चुनाव से पहले हल होगा, या फिर नागरिकों को न्याय का इंतजार करना पड़ेगा?
क्या इस घोटाले को रोका जा सकता है?
हां, लेकिन इसके लिए एक अलग, स्वतंत्र जमीन आवंटन बोर्ड की जरूरत है, जिसमें न्यायिक विशेषज्ञ, नागरिक समूह और लोकायुक्त के प्रतिनिधि शामिल हों। अभी तक सिडको के अंदर ही अधिकारी जमीन बेच रहे हैं — जैसे एक दुकानदार अपनी दुकान की जमीन अपने दोस्त को बेच रहा हो। इसे बदलना जरूरी है।