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Friday, June 29, 2012

ठिकाने लगा दिए

जीने में जिंदगी ने ज़माने लगा दिए,
आँखों ने खुबसूरत निशाने लगा दिए,
सुहानी शाम जब-२ मुश्किलों से गुजरी,
रखकर लबों पे दो-चार पैमाने लगा दिए,
मिलती नहीं है अब तन्हाइयों से फुर्सत,
गलियों में कई गम के दवाखाने लगा दिए,
धोखे से बच गया, नज़रों को जो पढ़ गया,
जो फंस गए, उनको ठिकाने लगा दिए.........

3 comments:

  1. Reena MauryaJune 30, 2012 3:44 AM

    बहुत खूब
    क्या बात कही है.....
    बेहतरीन रचना.....
    :-)

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  2. अरुन शर्माJune 30, 2012 4:38 AM

    शुक्रिया रीना जी

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  3. M VERMAJune 30, 2012 8:41 AM

    धोखे से बच गया, नज़रों को जो पढ़ गया,
    जो फंस गए, उनको ठिकाने लगा दिए.........

    पढ़ लिया फिर फंसे ही क्यों.
    बहुत खूब

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