नापाक इरादे से दिल लगाने को तुला है,
इक शक्स मेरी हस्ती मिटाने को तुला है,
हजारों किये हैं जुर्म मगर सजा कोई नहीं,
मुझको भी गुनाहों में फ़साने को तुला है,
सौदागर है, दिलों का व्यापार करता है,
धंधा है यही वो जिसको, बढ़ाने को तुला है,
धमकी दे रहा है, सीने पर मेरे चढ़कर,
जालिम है जबरजस्ती, डराने को तुला है,
आता है नए - नए रोज़, दावं सीख कर,
मेरे जीवन को जुए में, हराने को तुला है....
इक शक्स मेरी हस्ती मिटाने को तुला है,
हजारों किये हैं जुर्म मगर सजा कोई नहीं,
मुझको भी गुनाहों में फ़साने को तुला है,
सौदागर है, दिलों का व्यापार करता है,
धंधा है यही वो जिसको, बढ़ाने को तुला है,
धमकी दे रहा है, सीने पर मेरे चढ़कर,
जालिम है जबरजस्ती, डराने को तुला है,
आता है नए - नए रोज़, दावं सीख कर,
मेरे जीवन को जुए में, हराने को तुला है....
मार्मिक चित्रण || |
ReplyDeleteJARA SAMBHAL KAR
ReplyDeleteDil ka mamla hi aisa hae,kuch bhi kara sakta hae
रविकर SIR महेंद्र SIR बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteआपकी पोस्ट कल 12/7/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा - 938 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
आपने पोस्ट लिखी ,हमने पढी , हमें पसंद आई , हमने उसे सहेज़ कर कुछ और मित्र पाठकों के लिए बुलेटिन के एक पन्ने पर पिरो दिया । आप भी आइए और मिलिए कुछ और पोस्टों से , इस टिप्पणी को क्लिक करके आप वहां पहुंच सकते हैं
ReplyDeleteइन रास्तों जब कभी, आप भी आयेगें
ReplyDeleteहमें भी ,इन्ही की तरह रोते हुए पायेगें,,,,,,,
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,
RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
बहुत खूब ... लाजवाब लिखा है ..
ReplyDeleteअच्च्र्र रचना है |
ReplyDeleteआशा
आदरणीय दिगंबर जी, धीरेन्द्र जी & दिलबाग जी बहुत बहुत शुक्रिया
ReplyDeleteआदरणीया आशा जी स्नेह के लिए आभार
ReplyDeleteगहरे भाव लिए संवेदनशील रचना..
ReplyDeleteरीना जी स्नेह के लिए आभारी हूँ. शुक्रिया
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